फलित ज्योतिष की अवधारणा को समझने के लिए समय रेखा और उस पर भूत वर्तमान और भविष्य के बिन्दुओं की मूल प्रकृति को समझना आवश्यक है। "अपने नैसर्गिक गुणों के कारण अतीत निश्चित और अपरिवर्तनीय होता है, वर्तमान प्रत्यक्ष होता है और भविष्य अनिश्चित और परिवर्तनीय होता है।"
जहाँ तक विज्ञान के भी जानने की बात है अपने पूर्ण रूप में अतीत (क्या होचुका है?)और वर्तमान (क्या हो रहा है?) को भी जान नहीं पाया है, तो भविष्य के बारे में जो अनिश्चित और परिवर्तनीय है, को सही बताने का दावा करना विज्ञान और ज्योतिष दोनों के लिए कठिनाई भरा ही होगा, मगर इससे न तो विज्ञान मौसम, प्रगति, अर्थव्यवस्था और भविष्य में होने वाले परिवर्तनों के बारे में जानने के लिए होने वाले अनुसंधान रोकेगा और न ही ज्योतिष के आधार पर भविष्यवाणियां करना रुकेगा।
मेरा जोर इस बात पर है कि ज्योतिष के अंतर्भूत तत्वों के आधार पर निश्चित अवधारणाएं बना कर उनका वैज्ञानिक परिक्षण किया जावे, और प्रयोग प्रेक्षण और निष्कर्ष विधि से वर्तमान नियमों का परिक्षण किया जावे और आवश्यक हो तो संशोधन किया जावे।
सत्य है शिव है सुंदर है