(मेरी माँ ने मुझको जन्म दिया है पर माँ पूर्णमति ने मेरा जीवन धन्य किया है🙏)
धरती के देवता,पंचम काल में चतुर्थ काल की चर्या पालने वाले संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज की सुयोग्य शिष्या आर्यिकारत्न श्री 105 पूर्णमति माताजी द्वारा रचित आध्यात्मिक भजन, विचार एवं माताजी के प्रवचनों को जन-जन तक पहुँचाने के लिए यह चैनल गुरूभक्तो द्वारा चलाया जाता है।
आर्यिका पूर्णमति माताजी के अगाध ज्ञान और चारित्र की झलक माताजी द्वारा रचित साहित्य में देखने को मिलती है। माताजी द्वारा रचित शान्ति विधान एवं आचार्य परमेष्ठी विधान प्रमुख है। माताजी द्वारा भक्तिरस में डूबकर लिखा हुआ प्रभु भक्ति शतक, आत्मबोध शतक,स्वानुभूति शतक और गुरूभक्ति शतक लाखों श्रद्धालुओं को कण्ठस्थ हैं। आचार्य भगवन् की जीवनयात्रा को काव्य रूप देकर माताजी ने ज्ञानधारा की रचना की है। माताजी स्वयं मोक्षमार्ग पर बढते हुए अनेको जीवो को मोक्षमार्ग पर लगाकर गुरू परम्परा का प्रतिनिधित्व कर रही है।
ऐसी गुरूमाँ के श्रीचरणों में बारम्बार वन्दामि🙏🙏🙏
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