भक्ति में शक्ति होती है और उसे अनंत शक्ति कहा जाता है. भगवान की अंतरंग शक्ति का नाम प्रेम है. भक्ति से जुड़ी कुछ और बातेंः
भक्ति शब्द की उत्पत्ति 'भज्' धातु से हुई है, जिसका अर्थ है 'सेवा करना' या 'भजना'.
भक्ति के चार प्रकार माने गए हैं- सात्विकी, राजसी, तामसी और निर्गुण.
भगवान की भक्ति के नौ प्रकार बताए गए हैं. इन्हें नवधा भक्ति कहते हैं. ये हैं- श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य, और आत्मनिवेदन.
भक्ति के दौरान भक्ति करने वाले व्यक्ति के सामने विषय परिस्थितियां पैदा हो सकती हैं. इनसे घबराना नहीं चाहिए, बल्कि भक्ति को बढ़ाने के लिए निरंतर जप-तप करते रहना चाहिए.
श्रीकृष्ण ने कहा था, “एक सच्चा भक्त ऐसा ही होता है। वह अपने अहंकार को भगवान् में विलीन कर देता है। फिर कोई अलगाव नहीं रह जाता है। वे एक हैं”.