Ravivar Vichar

रविवार की टीम मानती है कि औरत की ख़ुशी और हक़ का एक दरवाज़ा, उसके पास ख़ुद का पैसा होने से खुलता है.परिस्थितियों और ज़रूरतों से जन्मी बेचैनी ने स्व सहायता समूहों को जन्म दिया. जिसे अंग्रेजी में सेल्फ हेल्प ग्रुप भी कहा गया. स्वसहायता समूह तेज़ गति से देश के सभी इलाकों में बने है.लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या ये क्रांति हमने कभी देखी है ? क्या सरकारों और आम लोगों तक महिलाओं के इस अदम्य साहस की कहानियां पहुंच पा रही हैं ?

स्व सहायता समूह और महिलाओं के बीच हो रही अर्थ क्रांति की ऐसी कई बड़ी कहानियां है जो दबी रह जाती है। रविवार , इसी कमी को पूरा करने की कोशिश है.रविवार वो पुल हैं जो दो दुनियाओं को जोड़ना चाहता है. रविवार,स्व सहायता समूह और अपनी आर्थिक स्वतंत्रता के लिये लड़ने वाली महिलाओं के लिये छुट्टी का नहीं बल्कि खुद के लिए खड़े होने का दिन है. हम सब उस अर्थ क्रांति के दस्तावेज़ बन रहे हैं जो धीरे-धीरे हिंदुस्तान को बदल रही है. आपके साथ और हौसला अफ़ज़ाई से हमारी पहल कुछ रंग दिखा सकती है, इसी उम्मीद और विश्वास के साथ
स्वागत करिये रविवार का ..