Abhishek Rai

संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम् ।
देवा भागं यथा पूर्वे सञ्जानाना उपासते ॥🙏

(हम सब एक साथ चलें; एक साथ बोलें; हमारे मन एक हों । प्राचीन समय में देवताओं का ऐसा आचरण रहा इसी कारण वे वंदनीय हैं ।)