RT Narendra Singh Sisodiya

जर्रों में रह गुजर कर, चमक छोड़ जाऊंगा.
आवाज़ में अपनी दूर तलक़ छोड़ जाऊंगा.
खामोशियों की मौत गंवारा नहीं मूझें.
शीशा हूं, टूट भी गया तो खनक छोड़ जाऊंगा!!

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धन्यवाद