:अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च:
धर्मस्य फलमिच्छन्ति धर्मं नेच्छन्ति मानवाः ।
फलं पापस्य नेच्छन्ति पापं कुर्वन्ति सादराः ॥
लोगों को धर्म का फल चाहिए, पर धर्म का आचरण नहि ! और पाप का फल नहि चाहिए, पर गर्व से पापाचरण करना है !
For query - [email protected]