Muni Shri Veersagar Ji Ke Bhakt

🔹 निर्यापक श्रमण मुनि १०८ श्री वीरसागर जी महाराज
— मानव मन के पारखी, युवाओं के 'हृदय सम्राट', और प्रैक्टिकल धर्म के अग्रदूत —

निर्यापक श्रमण मुनि १०८ श्री वीरसागर जी महाराज, आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज के परम प्रिय एवं प्रभावशाली शिष्य हैं। उन्होंने न केवल गहन तप और अनुभव से जीवन के सूक्ष्मतम पहलुओं को समझा है, बल्कि आधुनिक मानव-मन के मनोविज्ञान को भी अद्वितीय गहराई से पढ़ा और सुलझाया है।

मुनिश्री का संकल्प है — “प्रैक्टिकल धर्म को जन-जन तक पहुँचाना” — और इसी उद्देश्य को वे अपनी सशक्त वाणी, तपश्चर्या और लोकहितकारी दृष्टिकोण से साकार कर रहे हैं।

🔹 विद्याग्रेस फाउंडेशन सहित अनेक सामाजिक व आध्यात्मिक संस्थाओं को उनका स्नेहपूर्ण आशीर्वाद और मार्गदर्शन प्राप्त है।
🔹 वे आज के युग में युवाओं के 'हृदय सम्राट' के रूप में जाने जाते हैं — जो युवाओं की उलझनों को उनकी ही भाषा और दृष्टिकोण से समझते हुए व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत करते हैं।

वर्तमान प्रवास स्थल:
सिद्धक्षेत्र कुंथलगिरी, महाराष्ट्र

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