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सद्गुरु गोरख नाथ जी महाराज की जय !
भारत में नाथ पंथ अत्यंत प्राचीन है इसकी लोकप्रियता के कारण बहुत से साधक नाथपंथ से जुड़कर मंत्र साधना में जुटे हुए हैं। नाथ से भाव सदाशिव भोले नाथ ही है। नाथ संप्रदाय के गुरु सिद्ध कहलाए, जिनकी संख्या 84 बताई गई है। नवनाथ शिव रूप हैं। इनमें सर्वाधिक चर्चित केवल सद्गुरु गोरक्षनाथ ही हैं, जो जोकि मत्स्येंद्रनाथ जी के अनन्य सेवक और शिष्य थे। उपनिषदों, गीता आदि प्राचीन ग्रंथों से पता चलता है कि इस लहर का जन्म बहुत काल पहले ही हो चुका था। नाथों ने धर्म में आ गई कुरीतियों का सुधार किया। राजाओं को योग देकर भोग से रोका। भंडारे का रिवाज चलाया। वर्ण भेद मिटाया। अन्य धर्म वाले भी इस पंथ में आने लगे। सद्गुरु गोरक्षनाथ जी ने समझाया कि वासना खत्म तो उपासना शुरू। विचार खत्म तो दर्शन शुरू। लोक समाप्त तो परलोक शुरू।
शब्द से शून्यता में जाओ। विचार से निर्विचारता में कूदो। यही साहस है, विधि है, साधना है, तप है। नदी चली जा रही है सागर से मिलने तो क्या वह लौटी ? आप तो गुरु से मिलने आए हो, ज्ञानी नहीं, ज्ञान होकर ही लौटना।
Yogi Aneesh Nath