ज्योतिष – वेदों का नेत्र
ज्योतिष एक प्राचीन विज्ञान है, जिसकी चर्चा हमारे ऋषियों-मुनियों ने वेदों में भी की है। वेदों ने ज्योतिष को "नेत्र" की संज्ञा दी है — अर्थात् वह ज्ञान जो हमें भविष्य की दिशा दिखाता है, मार्गदर्शन करता है और सही निर्णय लेने में सहायक होता है।
ज्योतिष के माध्यम से हम जीवन में होने वाली घटनाओं का अनुमान लगा सकते हैं। यह हमें यह समझने में सहायता करता है कि किसी विशेष समय पर हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं। यह ध्यान देना आवश्यक है कि ज्योतिष किसी का भविष्य बदल नहीं सकता, लेकिन यह हमें समय की प्रकृति और प्रवृत्ति का बोध जरूर कराता है, ताकि हम अपने कर्मों को उसी अनुरूप ढाल सकें।
ज्योतिष शास्त्र सभी ग्रहों की स्थिति, गति और संरचना के आधार पर भविष्य एवं भूतकाल में घटित होने वाली घटनाओं का आकलन करता है। ग्रहों के प्रभाव केवल बाह्य जीवन पर नहीं, अपितु हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी होते हैं। जैसा कि हम जानते हैं, मानव शरीर पंचतत्वों — पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश — से बना है, और ये पंचतत्व ग्रहों से प्रभावित होते हैं।