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Aayodhya wasi🚩🚩🚩

भगवान शिव, जिन्हें महादेव, भोलेनाथ, शंकर, नीलकंठ आदि नामों से जाना जाता है,

प्राचीन समय की बात है, जब सृष्टि की रचना के बाद राक्षसों का आतंक बढ़ गया था। देवता परेशान हो गए थे और उन्होंने भगवान ब्रह्मा और विष्णु से मदद मांगी। तब सभी देवता कैलाश पर्वत पर भगवान शिव के पास गए। शिवजी ने ध्यान में लीन होकर सभी की बातें सुनीं और उन्हें आश्वासन दिया कि समय आने पर वे स्वयं संकट का नाश करेंगे।

एक बार देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ। इस मंथन में अमृत, रत्न, लक्ष्मी जी, ऐरावत हाथी, और हलाहल विष जैसे कई चमत्कारी वस्तुएं निकलीं। जब हलाहल नामक विष निकला, तो वह इतना ज़हरीला था कि उसकी ज्वाला से तीनों लोक जलने लगे। सभी देवता भगवान शिव के पास पहुँचे और उनसे विनती की कि वे इस विष को संभालें।

भगवान शिव ने करुणा भाव से विष को अपने कंठ में धारण कर लिया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया। तभी से वे "नीलकंठ" के नाम से प्रसिद्ध हुए। यह उनका संसार की रक्षा के लिए दिया गया महान बलिदान था।

#हर हर महादेव जी

महादेव जी को प्रेम का प्रतीक माना जाता है