Shiv Shakti 2467

सत्यम शिवम सुन्दरम
my subscribe is god for me



अगर भक्ति करना चाहते हैं तो जाहिर है कि कोई न कोई सकार भगवान को ही ध्यान कर भक्ति करेंगे…. भक्ति करते है भगवान का तो, ये तय है कि आप का ध्यान केवल भगवान पर ही लगा रहेगा.. ध्यान और कहीं नहीं भटकेगा.. क्योंकि ध्यान हमेशा एक ही लक्ष्य पर लग सकता है…भक्ति करने से नकारात्मक लक्ष्यों से ध्यान भटकना बच जाता है और ध्यान सकरात्मक हो जाता है…यानी मन positive हो जाता है…positivity दिमाग से ऐसे रसायन का श्राव कर्ता है जो शरीर को ताकत, खुशी और रचनात्मक शक्ति प्रदान कर्ता है…एक तरह से भक्ति, एक ecstacy drug की तरह काम कर्ता है.. ये सब फायदे हैं.. भक्ति के…

भक्ति न करने से जाहिर है नकारात्मक ऊर्जा अपना प्रभाव शरीर पर कर्ता है…मन्न भटकता है, निराशा घेरे रहता है, कमजोरी और बीमारी घर लेता है…कभी कभी मानसिक रोगी भी बन जाता है.. अंततः भक्ति एक उत्तम मार्ग है, स्वस्थ और सुखी रहने का…

भक्ति का आधार अमूमन भगवान ही हुआ करते हैं.. भक्ति भी दो तरह के होते हैं…साकार और निराकार…. साकार भक्ति असान होता है जबकि निराकार कठिन…❤️🙏🇮🇳
Bhakti kro jamkr

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