गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय ।
बलिहारी गुरु आपनो, जिन गोविंद दियो बताय।|
इस दोहे से तात्पर्य है कि गुरु और भगवान दोनों ही मेरे सम्मुख खड़े है,
परन्तु गुरु ने ईश्वर को जानने का मार्ग दिखा दिया है।
कहने का भाव यह है कि जब आपके समक्ष गुरु और ईश्वर दोनों
विधमान हो तो पहले गुरु के चरणों में अपना शीश झुकाना चाहिए,
क्योंकि गुरु ने ही हमें भगवान के पास पहुँचने का ज्ञान प्रदान किया है।