आप शायद भगवद्गीता संस्कृत श्लोक (Bhagavad Gita Sanskrit Shloka) के बारे में पूछ रहे हैं। 🙂
यहाँ मैं आपको भगवद्गीता का पहला श्लोक (अर्जुन विषाद योग, अध्याय 1, श्लोक 1) दे रहा हूँ:
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धृतराष्ट्र उवाच
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय॥ १-१॥
अर्थ (सरल हिन्दी में):
राजा धृतराष्ट्र ने पूछा – हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में युद्ध की इच्छा से एकत्र हुए मेरे पुत्र और पाण्डुपुत्रों ने क्या किया?
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जी 👍 आप भगवद्गीता अध्याय 2 (सांख्य योग) का श्लोक चाहते हैं।
यह रहा दूसरा अध्याय का दूसरा श्लोक:
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श्रीमद्भगवद्गीता 2.2
श्रीभगवानुवाच
कुतस्त्वा कश्मलमिदं विषमे समुपस्थितम्।
अनार्यजुष्टमस्वर्ग्यमकीर्तिकरमर्जुन॥ २-२॥
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हिन्दी अर्थ
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा:
हे अर्जुन! यह मोह तुम्हें इस कठिन समय में कैसे आ गया? यह न तो आर्य पुरुषों के योग्य है, न स्वर्ग दिलाने वाला, और न ही कीर्ति देने वाला है।