Khel ।खेल (कहानी) ।जैनेन्द्र कुमार।

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खेल (कहानी)
वाचन एवं प्रस्तुति -अल्पना वर्मा
बाल-मनोविज्ञान पर आधारित कहानी जिसमें खेल' के मनोहर और सुरी के क्रिया-व्यापार बालकोचित होते हुए भी प्रौढ़ लगते हैं।
रचनाकार: जैनेन्द्र कुमार
मौन-मुग्ध संध्या स्मित प्रकाश से हँस रही थी। उस समय गंगा के निर्जन बालुकास्थल पर एक बालक और बालिका सारे विश्व को भूल, गंगा-तट के बालू और पानी से खिलवाड़ कर रहे थे। बालक कहीं से एक लकड़ी लाकर तट के जल को उछाल रहा था।
बालिका अपने पैर पर रेत जमाकर और थोप-थोपकर एक भाड़ बना रही थी।....................

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