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  • greton
  • 2025-03-13
  • 43719
Akhir नर्मदा नदी कुंवारी क्यों है
#मां नर्मदा जी का तटchitlemainarmadanarmada nadinarmada parikramanarmada rivershortsvalley of flowersअखिर नर्मदाअधिवास रहस्यअर्थशास्त्र नर्मदाकुंवारी नदीकुंवारी नर्मदाजल स्रोतधार्मिक स्थलनदी रहस्यनर्मदा इतिहासनर्मदा कथानर्मदा जलनर्मदा तटनर्मदा देवीनर्मदा धार्मिकतानर्मदा नदीनर्मदा नदी और सोनभद्रनर्मदा परिक्रमानर्मदा पवित्रतानर्मदा यात्रानर्मदा रहस्यनर्मदा रिवरनर्मदा संस्कारपवित्र नदीमां नर्मदा
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Описание к видео Akhir नर्मदा नदी कुंवारी क्यों है

Akhir नर्मदा नदी कुंवारी क्यों है
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दोस्तो क्या आप जानते है की भारत की एक नदी नर्मदा जिसे कुंवारी नदी क्यों कहा जाता है और नर्मदा नदी का हर एक पत्थर कंकर शिवस्वरूप है और यह नदी विपरीत दिशा में क्यों बहती है इस वीडियो में हम आपको बताएंगे नर्मदा नदी कुंवारी क्यों है इस कहानी को सुनने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है सो आप को विनती है कि कथा अंततक जरूर सुने और कमेंट में हर हर नर्मदे जरूर लिखें चलीले कहानीको शुरू से सुनते है एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव एकबार मेखल पर्वत पर तपस्या कर रहे थे उस समय शिवजीको पसीना आया और पसीने के एक बूंद से एक सुंदर कन्या उत्पन्न हुई उस कन्या ने शिवजीको देखा और शिवजी की तरह तपस्या करने के लिए उन्हीं के सामने बैठ गई जब शिवजी की तपस्या टूटी तो उन्होंने सामने एक सुंदर कन्या को देखा तो वह आनंदित होगए और उन्होंने उस कन्या को नर्मदे कहकर पुकारा ओर कहा पुत्री तुम्हारी तपस्या से में प्रसन्न हु और शिवजी ने नर्मदा को वरदान दिया कि तुम्हारे पानी में रहनेवाला हर पत्थर नर्मदेश्वर शिवलिंग कहलाएगा जिसे बगैर प्राणप्रतिष्ठा के भी पूजा जाएगा तुम्हारे दर्शन ओर नाम लेने मात्र से लोग पाप मुक्त होकर मनचाहा फल प्राप्त करेंगे तुम्हारे परिक्रमा करने का विशेष महत्व होगा पानी में रहनेवाला शक्तिशाली जीव मगरमच्छ तुम्हारी सवारी बनेगा माता नर्मदा का अवतरण मेंखल पर्वतपर होनेके कारण नर्मदा राजा मेंखल की पुत्री कहलाई समय बीतता गया और माता नर्मदा विवाह योग्य हुई उस समय राजा मेंखल ने अपनी पुत्री नर्मदा के लिए अलौकिक वर का चयन करने का निश्चय किया ओर उन्होंने घोषणा की जो भी राजकुमार दुर्लभ गुलाब कावली का फूल लाकर उनके सामने प्रस्तुत करेगा उशिके साथ राजकुमारी नर्मदा का विवाह कर दिया जाएगा इस शर्त को पूरा करने के लिए बहुत से राजकुमारों ने प्रयास किए लेकिन सफल नहीं हुए ऐसा ही समय बीत रहा था राजा मेंखल को अब चिंता होने लगी थी की शायद ही कोई राजकुमार गुलाब कावली पुष्प लानें में सफल हो पाएगा लेकिन उसी समय सोनभद्र नामक एक राजपुत्र ने अपनी वीरता ओर शौर्य का परिचय देते हुए राजा की शर्त को पूरा किया राजा मेंखल सोनभद्र के साहस से प्रसन्न हुए और उन्होंने माता नर्मदा का विवाह राजकुमार सोनभद्र से करने की घोषणा करदी इस बात से सभी राज्य के लोग हर्ष उल्हास से भर गए लेकिन इधर माता नर्मदा ने राजकुमार सोनभद्र को देखा नहीं था तो उनके मन में राजकुमार को देखने की इच्छा ज्याग उठी तब माता नर्मदा ने राजकुमार को मुझे आपसे मिलना है कहकर पत्र लिखा ओर अपनी दाशी जुहिला के हाथों भेजने का फैसला किया जब माता नर्मदा ने जुहिला को पत्र लेजाने को कहा तो जुहिला ने कहा कि मुझे आपका संदेश लेकर दूसरे राज्य में जाना है और वहां आपकी शादी होनेवाली है और मेरेपास वहां जानेके लिए अच्छे वस्त्र ओर आभूषण नहीं हैं यह बात राजकुमारी नर्मदा को सही लगी और उन्होंने देर न लगाते अपने वस्त्र ओर आभूषण दासी जुहिला को पहना दिए और राजकुमार सोनभद्र को पत्र देने के लिए भेज दिया जुहिला दिखने में सुंदर थीं जब वह राजकुमारी नर्मदा का पत्र देने के लिए राजकुमार सोनभद्र के सामने गई तो राजकुमार सोनभद्र दासी जुहिला को राजसी वस्त्र में देखकर उसे राजकुमारी नर्मदा समझ बैठे और उन्होंने अपना प्रेम प्रस्ताव जुहिला के सामने रखा जुहिला के मन में राजसी विलास की लालसा जागृत हुई ओर उसने राजकुमार सोनभद्र का प्रस्ताव तुरंत स्वीकार कर लिया दोनों ने विवाह कर लिया जब जुहिला को जाकर बहुत दिन हो गए तो देवी नर्मदा ने राजकुमार सोनभद्र के यहां जाने का निश्चय किया माता नर्मदा सोनभद्र के राज्य में पहुंची तो उन्हें दासी जुहिला ओर राजकुमार सोनभद्र के विवाह की बात पता चली इस बात से माता पार्वती अत्यधिक क्रोधित हुई और वहीं से उन्होंने उल्टी दिशा में चलना शुरू किया राजा सोनभद्र को जब यहबात पता चली तो उन्हें अपनी करनी का पश्चाताप हुआ और उन्होंने माता नर्मदा से क्षमा याचना कर उनसे विवाह करने की इच्छा व्यक्त की लेकिन देवी नर्मदा ने सोनभद्र का प्रस्ताव ठुकराते हुए आजीवन कुंवारी रहने का प्राण किया यही कारण है की माता नर्मदा बाकी नदियों के विपरीत दिशा में बहने लगी नर्मदा जंगलों ओर पहाड़ों से खुदके लिए रास्ता बनाते हुए अरब सागर में जा मिली बाकी अधिकतर नदियां बंगाल की खड़ी में समुद्र में मिलती है आज भी नर्मदा के कल कल छल छल करते आवाज में उनका करुण विलाप महसूस होता है दोस्तो आपको यह वीडियो अच्छी लगी हो तो चैनल को सब्सक्राइब करे और कमेंट में हर हर नर्मदे लिखना ना भूले
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