मझधार में डर रहे थे लड़की मुस्कुरा रही थी। नाव लड़खड़ाई-संकटमोचन जवान Parsen Village Gwalior Rescue

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ग्वालियर के पारसेन गाँव में बाढ़ में फँसे लोगों का बचाव वीडियो।
एसडीआरएफ की जवानों ने अंधे किसान परिवार की पार की नईया
18 ज़िंदगियों को 12 घंटे बाद मिला भोजन पानी और राहत की सांस
जवानों की नाँव को बाजरे के खेत में फँस गई तो बुजुर्ग किसान ने दिखाया रास्ता
न तो मोबाइल था और न ही कोई दिशा..मुन्ना चाचा के इशारे पर नाव में पहुँचे एसडीआरएफ के जवान संकट मोचन बनकर
वैसे तो संकट मोचन हनुमान जी हैं लेकिन आधुनिक युग में एसडीआरएफ़ के जवान उम्मीद बनकर आते हैं। बाढ़ से प्रभावित बिजोली थाने के पाँच गाँवों में रातों रात पानी भर गया और जीवन संकट में आ गया। सूचना मिली कि पारसेन गाँव के एक किसान परिवार का घर गिर गया है और उनके पास मोबाइल भी नहीं है। सुबह से कोई संपर्क नहीं हो रहा है। एसडीआरएफ़ की टीम के प्लाटून कमाण्डर अजय सिंह की टीम के ड्राइवर ख़ान, भानु तोमर, विजय दंडोतिया ने जब नाव को बाजरे के खेत से खींचते हुए किसान के घर के पीछे लगाया तो बेटी प्रियंका गुर्जर की नज़र पड़ी तो मुस्कुराने लगी। उसके बाद गिरे हुए मकान से एक अंधे दादा रामवीर गुर्जर उम्र-85 वर्ष,
लकवाग्रस्त दादी 80 वर्ष मिली। रामबरण की पत्नी रिंकी ने आने से मना कर दिया कि मेरी गाय को छोड़कर नहीं जाऊँगी लेकिन पुलिस व होम गार्ड के जवानों द्वारा समझाइश देने के बाद रामबरण व उसकी पत्नी आने को तैयार हुए। जब राहत दल पहुँचा तो खाना के लिए कंडे सुलगा रहे थे। उसके बाद एसडीआरएफ़ के नाव चालक ख़ान साब ने नदी की तेज धार से पार करते हुए निकाला। सैनिक भानू व विजय ने जान की परवाह किए बिना नाव को बाजरा व धान के खेत से सुरक्षित निकाला और राहत की सांस दी। पारसेन व बीरबल का पुरा बिलहटी गाँव में फँसे गुर्जर समाज के लोगों को पुलिस प्रशासन ने बचाया।
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