"संकट हरण! सुंदरकांड का चमत्कारिक प्रभाव"

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*सुंदरकांड* वाल्मीकि रामायण का एक प्रमुख और पवित्र कांड है, जिसमें भगवान हनुमान के अद्भुत पराक्रम और भक्ति का वर्णन किया गया है। यह कांड भगवान राम की लंका यात्रा, सीता माता की खोज, और रावण के खिलाफ हनुमान जी के साहसिक कार्यों पर केंद्रित है।

*सुंदरकांड की संक्षिप्त कहानी*

1. **हनुमान की समुद्र लांघना**: हनुमान जी, भगवान राम की पत्नी सीता की खोज के लिए समुद्र को लांघते हैं। इस दौरान वे सुरसा और सिंहिका जैसी विभिन्न बाधाओं का सामना करते हैं और उन्हें परास्त करते हैं।

2. **लंका में प्रवेश**: हनुमान जी लंका पहुँचते हैं और वहां का वातावरण देखते हैं। वे सीता माता की खोज शुरू करते हैं और अंततः उन्हें अशोक वाटिका में रावण के कैद में पाते हैं।

3. **सीता माता से भेंट**: हनुमान जी अपनी लघु रूप धारण कर सीता माता के पास पहुँचते हैं और उन्हें भगवान राम का संदेश देते हैं। सीता माता हनुमान जी को पहचानती हैं और उनसे भगवान राम के बारे में पूछती हैं।

4. **लंका दहन**: हनुमान जी सीता माता का पता लगाने के बाद, लंका के वृक्षों और भवनों को जलाकर रावण को चेतावनी देते हैं। वे अपनी पूंछ में आग लगवाते हैं और लंका में आग लगा देते हैं, जिससे रावण के अनेक महल और बाग जलकर खाक हो जाते हैं।

5. **रामजी को संदेश देना**: लंका दहन के बाद, हनुमान जी वापस भगवान राम के पास लौटते हैं और उन्हें सीता माता की स्थिति और लंका की स्थिति के बारे में बताते हैं। यह खबर सुनकर भगवान राम और उनकी सेना लंका पर आक्रमण की योजना बनाते हैं।

सुंदरकांड हनुमान जी की अपार भक्ति, साहस और उनके भगवान राम के प्रति निस्वार्थ प्रेम को दर्शाता है। इसे पढ़ने और सुनने से भक्तों को असीम शक्ति, साहस और भक्ति की प्रेरणा मिलती है। हिंदू धर्म में सुंदरकांड का पाठ करने से संकट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

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