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Скачать или смотреть पुरुषोत्तम मास भागवत गीता 15 अध्याय

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  • 2025-07-19
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पुरुषोत्तम मास भागवत गीता 15 अध्याय
भगवत गीता15 वां अध्यायtreeindingबहुत सुंदरYouTubeघोड़े का प्रभावमुक्ति का मार्गभक्ति का मार्गजीवन को उन्नत करने का मार्ग
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Описание к видео पुरुषोत्तम मास भागवत गीता 15 अध्याय

भगवद गीता का पंद्रहवां अध्याय, जिसे पुरुषोत्तम योग भी कहा जाता है, भगवान कृष्ण द्वारा आत्मा और परमात्मा के बीच संबंध को दर्शाता है। इस अध्याय में, कृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि यह संसार एक अविनाशी वृक्ष के समान है, जिसकी जड़ें ऊपर की ओर और शाखाएं नीचे की ओर फैली हुई हैं। इस वृक्ष को समझने और इससे परे जाने का अर्थ है, जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाना।
मुख्य बातें:
संसार एक अविनाशी वृक्ष:
भगवद गीता के अनुसार, यह संसार एक अविनाशी वृक्ष के समान है, जिसकी जड़ें ऊपर की ओर (परमात्मा) और शाखाएं नीचे की ओर (संसार) फैली हुई हैं।
गुणों का प्रभाव:
इस वृक्ष को तीनों गुणों (सत्व, रज, तम) द्वारा पोषित किया जाता है, और यह कर्मों के अनुसार विभिन्न योनियों में फैलता है।
पुरुषोत्तम का ज्ञान:
कृष्ण स्वयं को पुरुषोत्तम (सर्वोच्च पुरुष) के रूप में प्रकट करते हैं और बताते हैं कि जो उन्हें इस रूप में जानता है, वह सब कुछ जान जाता है।
मुक्ति का मार्ग:
इस वृक्ष के रहस्य को जानने और इससे परे जाने का अर्थ है, जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाना और भगवान के धाम को प्राप्त करना।
भक्ति का महत्व:
अध्याय में भगवान कृष्ण के प्रति अनन्य भक्ति के महत्व पर भी जोर दिया गया है, जो इस मुक्ति के मार्ग में

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