करमा नृत्य छत्तीसगढ़ karma nritya chhattisgarh

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करमा झारखण्ड, बिहार, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख त्यौहार है। मुख्य रूप से यह त्यौहार भादो (लगभग सितम्बर) मास की एकादशी के दिन और कुछेक स्थानों पर उसी के आसपास मनाया जाता है। इस मौके पर लोग प्रकृति की पूजा कर अच्छे फसल की कामना करते हैं, साथ ही बहनें अपने भाइयों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं। करमा पर झारखंड के लोग ढोल और मांदर की थाप पर झूमते-गाते हैं। कर्मा को आदिवासी संस्कृति का प्रतीक भी माना जाता है।करमा गीत एंव करमा नृत्य मनोरंजन के गीत-नृत्य हैं। बारिश शुरु होने के साथ करमा गीत गाये जाने लगते है और फसल के कट जाने तक गाये जाते हैं। करमा गीत में बड़े सुन्दर सम्बोधन का प्रयोग होता है। एक-दूसरे का नाम न लेकर बड़े प्यार से किन्हीं और शब्दों से सम्बोधन करते हैं। जैसे प्यार भरा संबोधन है - "गोलेंदा जोड़ा" । निम्नलिखित गीत में इसका प्रयोग बड़े सुन्दर तरीके से किया गया है-

चलो नाचे जाबा रे गोलेंदा जोड़ाकरमा तिहार आये है, नाचे जाबो रे।पहली मैं सुमिरौं सरस्वती माई रेपाछू गौरी गणेश-रे गोलेंदा जोड़ा ...।।गांव के देवी देवता के पइंया लगारेगोड़ लागौ गूरुदेव के रे गोलेंदा जोड़ा ..।।

कहीं " गोलेंदा जोड़ा" से संबोधन करते हैं, तो कहीं "जवांरा" या "भोजली" से संबोधन करते है। कहीं-कहीं कहते हैं "गोदांफूल"

करमा गीत गाते समय मांदर बजाया जाता है। मांदर सुनकर गाँव के सभी लोग दौड़कर चले आते है और नाचने लगते है। करमा गीत और नृत्य जिस जगह पर होती है उसे "अंखरा" कहते है।

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