साहित्य सृजन - चित्रा मुद्गल उर्मिला शिरीष

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साहित्य सृजन - चित्रा मुद्गल उर्मिला शिरीष
Sahitya Sarjan - ChitraMudgal UrmilaShrish
चित्रा मुद्गल का नाम हिन्दी के उन विरल, विलक्षण और अप्रतिम कथाकारों में लिया जाता है, जिन्होंने अपने लेखन के द्वारा एक व्यापक, बहुआयामी, मानवीय समाज की अभिव्यक्ति अपने साहित्य में की है और एक ऐसा संसार अपने साहित्य द्वारा रचा है, जिसमें सदियों से उपेक्षित समाज अपनी आवाज को शब्द देना चाहता था। चित्रा मुद्गल का समस्त साहित्य उनकी मानवीय समाज के प्रति अटूट प्रतिबद्धता, ईमानदारी और चिन्ता का पर्याय है।

उन्होंने अपनी कहानियों तथा उपन्यासों में जिन विषयों को उठाया है, जिस मनुष्य-समाज को चित्रित किया है, वे परम्परागत स्त्री-लेखन की सीमाओं का अतिक्रमण तो करता ही है, एक नये रूप में लेखन को परिभाषित करता हुआ स्त्री-लेखन के कई नये और चुनौती भरे आयाम भी खोलता है। चित्रा मुद्गल अपने लेखन द्वारा अपने समकालीनों में अलग पहचान बनाती हैं। चित्रा मुद्गल की कहानियाँ जहाँ एक ओर निम्न मध्यमवर्गीय समाज से आती हैं, वहीं गाँव-कस्बा, नगर-महानगर की समस्याओं, परिस्थितियों तथा संघर्षों के बीच जी रहे मनुष्यों की स्थितियों का भी प्रतिरूप और प्रति आख्यान रचती हैं।

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