उत्तराखंड का धार्मिक नगर ऋषिकेश, जिसे “देवभूमि का द्वार” कहा जाता है, आजकल लगातार हो रही भारी बारिश और गंगा नदी के उफान की वजह से चर्चा में है। हर साल मानसून के मौसम में गंगा का जलस्तर बढ़ता है, लेकिन इस बार स्थिति कुछ ज्यादा गंभीर हो गई है। लगातार हो रही मूसलाधार बारिश, पहाड़ों पर भूस्खलन और बांधों से छोड़ा गया अतिरिक्त पानी मिलकर गंगा को उफान पर ले आए हैं। इस प्राकृतिक स्थिति ने स्थानीय निवासियों, यात्रियों, साधु-संतों और पर्यटकों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
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🌊 गंगा का बढ़ता जलस्तर
पिछले कुछ दिनों से ऋषिकेश और उसके आसपास के इलाकों में भारी वर्षा हो रही है। मौसम विभाग के अनुसार, 24 घंटे में 150 मिमी से अधिक वर्षा दर्ज की गई है। इस वजह से गंगा का जलस्तर खतरे के निशान 340 मीटर को पार कर चुका है। हरिद्वार और श्रीनगर बाँध से छोड़े गए अतिरिक्त पानी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
त्रिवेणी घाट, राम झूला, लक्ष्मण झूला और परमार्थ निकेतन के आसपास के क्षेत्र पूरी तरह पानी से घिरे नजर आ रहे हैं। कई जगहों पर घाटों की सीढ़ियाँ पूरी तरह जलमग्न हो चुकी हैं।
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🏞️ ऋषिकेश की भूगोलिक स्थिति और प्रभाव
ऋषिकेश हिमालय की तलहटी में स्थित है, जहाँ गंगा नदी पर्वतों से निकलकर मैदानों की ओर बढ़ती है। यह क्षेत्र भले ही सुंदरता से भरपूर हो, लेकिन इसका भौगोलिक ढांचा मानसून के दौरान जोखिमभरा बन जाता है।
जब ऊपरी पहाड़ी क्षेत्रों—जैसे देवप्रयाग, श्रीनगर, टिहरी और उत्तरकाशी—में जोरदार बारिश होती है, तो सारा पानी गंगा के प्रवाह के साथ ऋषिकेश की ओर बढ़ता है।
फलस्वरूप, यहां गंगा का स्तर तेजी से बढ़ जाता है और शहर के निचले इलाकों में जलभराव होने लगता है।
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🚧 प्रशासन की तैयारियाँ
इस बार प्रशासन पूरी तरह अलर्ट पर है। SDRF, NDRF और पुलिस टीमें लगातार घाटों और नदी किनारों पर निगरानी कर रही हैं।
• त्रिवेणी घाट, राम झूला और नीलकंठ मार्ग को लेकर विशेष चेतावनी जारी की गई है।
• गंगा तट पर किसी भी प्रकार के स्नान या नौका विहार पर अस्थायी रोक लगाई गई है।
• स्थानीय लोगों और पर्यटकों से नदी के करीब न जाने की अपील की जा रही है।
• नगर निगम की टीमें ड्रेनेज सिस्टम को साफ करने और जलनिकासी के प्रयासों में लगी हैं।
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🕉️ धार्मिक गतिविधियों पर असर
ऋषिकेश धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण शहर है। हर शाम होने वाली गंगा आरती — जो विश्वभर के पर्यटकों को आकर्षित करती है — अब जलस्तर बढ़ने के कारण घाटों से कुछ दूरी पर आयोजित की जा रही है।
परमार्थ निकेतन और गीता भवन के साधु-संतों ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे सुरक्षा को प्राथमिकता दें और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करें।
श्रद्धा का माहौल बरकरार है, लेकिन सुरक्षा कारणों से सीमित संख्या में ही लोग आरती में भाग ले पा रहे हैं।
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🏘️ स्थानीय लोगों की परेशानी
शहर के कई हिस्सों में बारिश के कारण जलभराव, बिजली कटौती और सड़कें क्षतिग्रस्त होने जैसी समस्याएँ सामने आई हैं।
• तपोवन, आईडीपीएल, शिवपुरी और मुनिकीरेती के इलाकों में जलजमाव की स्थिति है।
• कई घरों और दुकानों में पानी घुसने से आर्थिक नुकसान हुआ है।
• स्थानीय लोगों को पीने के पानी, बिजली और आवागमन की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
फिर भी, लोग आपसी सहयोग से स्थिति का सामना कर रहे हैं। कई स्वयंसेवी संस्थाएँ राहत सामग्री जैसे बिस्किट, पानी की बोतलें और दवाइयाँ बाँट रही हैं।
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🛣️ परिवहन और पर्यटन पर असर
ऋषिकेश से आगे बद्रीनाथ और केदारनाथ जाने वाले रास्तों पर भूस्खलन के कारण कई बार यातायात रोका गया है।
बीस हज़ार से अधिक तीर्थयात्री और पर्यटक अपने गंतव्यों पर रुकने को मजबूर हुए हैं। होटल और धर्मशालाओं में यात्रियों को अस्थायी ठहराव दिया जा रहा है।
रेलवे और बस सेवाएँ भी मौसम की स्थिति देखते हुए सीमित कर दी गई हैं।
पर्यटन पर इसका असर स्पष्ट है —
जहाँ मानसून में लोग ऋषिकेश की हरियाली और रोमांचक रिवर राफ्टिंग का आनंद लेने आते थे, वहीं अब सुरक्षा कारणों से राफ्टिंग गतिविधियाँ बंद कर दी गई हैं।
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🌿 पर्यावरणीय पहलू
गंगा के बढ़ते जलस्तर का सीधा संबंध जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित विकास से भी है।
पहाड़ों पर वनों की कटाई, सड़कों के चौड़ीकरण, होटल निर्माण और नालों की अव्यवस्था ने प्राकृतिक जल निकासी को प्रभावित किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते सस्टेनेबल डेवलपमेंट और पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान न दिया गया, तो आने वाले वर्षों में ऋषिकेश जैसे पवित्र नगर बार-बार इस तरह की स्थिति का सामना करेंगे।
ऋषिकेश में गंगा सिर्फ एक नदी नहीं, बल्कि आस्था का प्रतीक है। जब उसका प्रवाह उफान पर होता है, तो यह हमें प्रकृति की शक्ति का एहसास कराता है।
भले ही यह स्थिति भयावह दिखती हो, पर यह हमें सिखाती है कि प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर चलना ही असली भक्ति है।
भक्तों के लिए जरूरी है कि वे अपनी श्रद्धा को सुरक्षा के साथ जोड़ें।
“गंगा मां हमें जीवन देती हैं, परंतु हमें उनके नियमों का भी पालन करना चाहिए।”
ऋषिकेश में गंगा का उफान और लगातार हो रही बारिश एक चेतावनी भी है और एक सीख भी।
यह हमें बताती है कि इंसान चाहे कितना भी विकसित क्यों न हो जाए, प्रकृति के सामने हमेशा छोटा रहेगा।
इस समय प्रशासन, नागरिक और साधु-संत सब मिलकर स्थिति को संभालने की कोशिश कर रहे हैं।
शहर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर लौटेगा, लेकिन इस घटना ने फिर याद दिला दिया कि हमें गंगा और पर्यावरण की रक्षा के लिए सजग रहना होगा।
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“गंगा बहती है — जीवन देती है, पर जब उफान में आती है, तो हमें याद दिलाती है कि प्रकृति की शक्ति के सामने सिर झुकाना ही बुद्धिमानी है।”
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