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वीडियो जानकारी: 17.02.2024, बोध प्रत्यूषा, ग्रेटर नोएडा
Title : आत्मा नहीं, अनात्मा नहीं — फिर तुम क्या हो? || आचार्य प्रशांत, आचार्य नागार्जुन पर (2024)
📋 Video Chapters:
0:00 - Intro
0:03 - वेदांत का मूल सिद्धांत
8:44 - अनुभवों का धोखा और संसार
14:40 - आत्मा है या नहीं?
21:24 - आम आदमी की ज़िंदगी
26:45 - नागार्जुन का दर्शन: शाश्वत-अशाश्वत का खंडन
30:18 - अहंकार स्वयं को मिथ्या क्यों मान बैठता है?
36:33 - माया कैसे फँसाती है?
46:56 - अवधूत गीता: ना मैं, ना तुम
1:04:05 - तोतापुरी और रामकृष्ण का संवाद
1:06:45 - ऋभु गीता: पुनर्जन्म, देवता, ब्रह्म — सब मिथ्या
1:16:05 - भजन
1:18:53 - समापन
विवरण:
इस वीडियो में वेदांत और आध्यात्मिकता के गहरे विषयों पर चर्चा की गई है। आचार्य जी ने बताया कि जो लोग वेदांत के मूल सिद्धांतों से परिचित नहीं हैं, वे इस चर्चा को विचित्र और चौंकाने वाला पाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जिनकी समझ में गहराई है, उन्हें कोई समस्या नहीं होगी।
आचार्य जी ने यह स्पष्ट किया कि हमारे अनुभव अक्सर धोखा देते हैं और जो हमें सत्य लगता है, वह हमेशा सत्य नहीं होता। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से बताया कि कैसे हमारी इंद्रियां हमें भ्रमित कर सकती हैं और हमें दुख का अनुभव कराती हैं।
इसके बाद, आचार्य जी ने यह बताया कि अहंकार और आत्मा के बीच का संबंध कैसे जटिल है। उन्होंने कहा कि जब हम कहते हैं कि "मैं" या "मेरे लिए" कुछ है, तो हम अपने अनुभवों को सत्य मानने लगते हैं, जबकि वास्तव में यह सब सापेक्ष है।
आचार्य जी ने यह भी कहा कि हमें अपने अनुभवों को पहचानने और समझने की आवश्यकता है, ताकि हम सत्य और असत्य के बीच का भेद कर सकें। उन्होंने यह भी बताया कि उच्चतम सत्य को समझने के लिए हमें अपने अहंकार को छोड़ना होगा।
अंत में, आचार्य जी ने यह बताया कि सभी धार्मिक और आध्यात्मिक विचार, जैसे आत्मा, ब्रह्म, और मोक्ष, अंततः हमारे अपने अहंकार से जुड़े होते हैं। इसलिए, हमें इन सभी विचारों को समझने और उनके पीछे की वास्तविकता को पहचानने की आवश्यकता है।
इस प्रकार, वीडियो में वेदांत के गहरे सिद्धांतों और आत्मा के वास्तविक स्वरूप पर विचार किया गया है।
प्रसंग:
~ वेदांत के सिद्धांतों से अनजान लोग किस प्रकार प्रतिक्रिया करते हैं?
~ आचार्य जी के अनुसार, अनुभवों का सत्यता से क्या संबंध है?
~ आचार्य जी ने अहंकार और आत्मा के संबंध को कैसे समझाया है?
~ उच्चतम सत्य को समझने के लिए हमें क्या छोड़ना चाहिए?
~ आचार्य जी के अनुसार, धार्मिक विचारों का अहंकार से क्या संबंध है?
~ वीडियो में वेदांत के कौन से महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गई है?
सुख नहीं है, दुःख नहीं है।
अतः विपर्यास संभव नहीं है।
शुन्यता सप्तति - 9
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ऋषि लोगों की वह भूलने में मदद करता है जो वे जानते हैं,
और जिसकी वे इच्छा करते हैं।
ऋषि उनमें संशय पैदा करता है जो सोचते हैं कि वे जानते हैं।
ताओ ते चिंग – 3.2
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पाथर पूजे हरि मिले, तो मैं पूजूं पहाड़।
तासे तो चाकी भली, पीस खाए संसार ।।
~ संत कबीर
मोटी माया सब तजै, झीनी तजी न जाए।
पीर पैगम्बर औलिया, झीनी सबको खाए ।।
~ संत कबीर
पुनर्जन्म मिथ्या है, देवता मिथ्या है, ब्रह्म मिथ्या है,
हरि मिथ्या हर मिथ्या है, और अगर कुछ और आए तो वो भी मिथ्या है
ऋभु गीता - 44
🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
https://open.spotify.com/show/3f0KFwe...
संगीत: मिलिंद दाते
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