लोटा पानी "दीप्ति और अर्पण" चटकपुर से सिमडेगा।

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आदिवासी रीति-रिवाजों में लोटा-पानी का प्रतीकात्मक और पारंपरिक महत्व होता है। यह अक्सर आदिवासी समुदायों के सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन में देखा जाता है। लोटा (धातु, मिट्टी, या लकड़ी से बना एक पात्र) और पानी (शुद्धि और जीवन का प्रतीक) का उपयोग कई अनुष्ठानों में किया जाता है।

लोटा-पानी का महत्व

1. शुद्धिकरण का प्रतीक:
लोटा-पानी का उपयोग आत्मा, शरीर और स्थान की शुद्धि के लिए किया जाता है।

पूजा या हवन से पहले स्थान शुद्ध करने के लिए जल का छिड़काव।

मृतक की आत्मा की शांति के लिए जल अर्पण।



2. अतिथि सत्कार में उपयोग:
आदिवासी समाज में लोटा-पानी का उपयोग अतिथि का स्वागत करने के लिए किया जाता है।


3. पारंपरिक समारोह:

विवाह, जन्म और अन्य शुभ अवसरों में लोटा-पानी का प्रयोग।

भूमि पूजन या कृषि से पहले जल अर्पित करने की प्रथा।



4. प्राकृतिक जुड़ाव:
आदिवासी समुदाय जल को पवित्र मानते हैं और इसे देवताओं को अर्पित करते हैं।



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