Thumri | Kahe ko mere ghar aaye ho | Kathak | Damini Bisht

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काहे को मेरे घर आए हो ||
खंडिता नायिका ||
यह प्रसिद्ध ठुमरी स्वर्गिय बिंदादिन महाराज जी द्वारा रचित है |

श्रेय : मेरे गुरु पंडित जय किशन महाराज जी |

दो साल पहले एक कोशिश |
त्रिवेणी कला संगम, नई दिल्ली |
संगतकार :
अखिलेश भट्ट, जया भट्ट, घंश्याम सिषोदिया दादा और समी उल्लाह खान जी |

भरतमुनि ने अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ नाट्यशास्त्र में आठ प्रकार की नायिकाओं का वर्णन किया है, जिन्हें अष्टनायिका कहते हैं| खंडिता एक प्रकार की नायिका होती है।
प्रेमी या पति के किसी और के साथ प्रेम-संबंध होने पर ऐसी नायिकाओं का दिल टूट जाता है या खंडित हो जाता है, जिसके कारण इन्हें खंडिता कहा जाता है।

रीतिकाव्य में खण्डिता नायिकाओं की विभिन्न अवस्थाओं में ईर्ष्या, द्वेष, क्लेश, व्यथा, आकांक्षा आदि और उनके द्वारा की जाने वाली प्रतिक्रियाएं और व्यंग्य देखने को मिलते हैं।

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