वह शक्ति हमें दो दयानिधे - VAH SHAKTI HUMEN DO || VIDHI DESHWAL

Описание к видео वह शक्ति हमें दो दयानिधे - VAH SHAKTI HUMEN DO || VIDHI DESHWAL

VAH SHAKTI HUMAIN DO DAYA NIDHE
MORNING PRAYER
SINGER: VIDHI DESHWAL ( प्रार्थना )
COURSE : AARTI, MONIKA, SONIA.
DHUN : PARMPARIK
lyrics: Shree Parashuram Pandey ji
MUSIC Arranger : DR. ASHOK VERMA
HARMONY RECORDING STUDIO
Credits : -
Leading Angle Public School, Kemari Road Hisar
ORIGINAL VIDEO FOOTEGE : Pardeep Swami & Jugni Series Cassettes
EDITING : RISHAB VERMA
ईश्वर ने हमे इतना कुछ दिया,हमे उसका धन्यवाद करना चाहिए |
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ज्यादा प्रचलित पारम्परिक स्कूल प्रार्थना

   • DAYA KAR DAAN VIDYA KA  Changed My Li...  
लगभग पांच दशकों से ज्यादा प्रचलित पारम्परिक स्कूल प्रार्थना
लगभग सभी उत्तर-भारतीय स्कूलों में सुबह-सुबह सुर-बेसुर प्रार्थना गाते हुए बच्चों में जो एक समानता होती है, वो है ये प्रार्थना वह शक्ति हमें दो दयानिधे ।।

आश्चर्य की बात ये कि इतनी ज्यादा लोकप्रिय प्रार्थना/कविता के लेखक के बारे में लोगों को पता नहीं है। इन्टरनेट पर भी इस कविता के लेखक के बारे में मतभेद पाया गया है।

– कई वेबसाइट्स पर लिखा है कि इसके लेखक मुरारीलाल शर्मा बालबंधु थे परंतु कई विद्वानों ने कहा है कि ये कविता श्री परशुराम पान्डे जी द्वारा लिखित है। परशुराम पान्डे जी मध्यप्रदेश के रीवा जिले की गुढ तहसील में द्वारी ग्राम के निवासी थे।

– पं रामसागर शास्त्री, डा कृष्णचन्द्र वर्मा, डा नागेंद्र सिंह ‘कमलेश, श्री रविरंजन सिंह जैसे लेखक जिन्होंने विंध्य क्षेत्र के साहित्य का अध्ययन किया है, इस बात की पुष्टि प्रमाण सहित की है। अधिक जानकारी के लिए नीचे रमाशंकर शर्मा जी का कमेन्ट देखें।

मुझे आज भी यह प्रार्थना याद है, शायद आपको भी हो. इसके अलावा हमारे School course में जो सरकारी किताबें पढाई जाती थीं, उनके Back cover पर भी यह कविता प्रिंट होती थी।



वह शक्ति हमें दो दयानिधे,
कर्त्तव्य मार्ग पर डट जावें।
पर-सेवा पर-उपकार में हम,
जग(निज)-जीवन सफल बना जावें॥
॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे…॥

हम दीन-दुखी निबलों-विकलों के,
सेवक बन संताप हरें।
जो हैं अटके, भूले-भटके,
उनको तारें खुद तर जावें॥
॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे…॥

छल, दंभ-द्वेष, पाखंड-झूठ,
अन्याय से निशिदिन दूर रहें।
जीवन हो शुद्ध सरल अपना,
शुचि प्रेम-सुधा रस बरसावें॥
॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे…॥

निज आन-बान, मर्यादा का,
प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे।
जिस देश-जाति* में जन्म लिया,
बलिदान उसी पर हो जावें॥
॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे…॥

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