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Скачать или смотреть जानिए असली और नकली केसर धोखा ना खाए हिमाचल का भोला भाला किसान

  • superfastnewshimachal 24 7
  • 2020-05-30
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जानिए असली और नकली केसर धोखा ना खाए हिमाचल का भोला भाला किसान
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Описание к видео जानिए असली और नकली केसर धोखा ना खाए हिमाचल का भोला भाला किसान

जिला मंडी में किसान असली केसर की आड़ में अमेरिकन केसर के द्वारा ठगे जा रहे हैं। क्षेत्र के किसान कंपनियों से प्राप्त बीजों से अपने खेतों में केसर उगाने पर खुश तो बहुत हैं। लेकिन उन्हें कहां पता है कि असली केसर के नाम वे अमेरिकन केसर अपने खेतों में बो रहे हैं।इसका कारण यह है कि हिमाचल प्रदेश के निचले गर्म क्षेत्रों की जमीन पर तो केसर उगाया ही नहीं जा सकता है। यह तो कश्मीर जैसे ठंडे प्रदेशों की फसल है। केसर का उत्पादन 1500 से 2800 मीटर के ऊचांई वाले क्षेत्रों में ही हो सकता है। कृषि विभाग भी यही सलाह दे रहा है। साथ ही, सचेत कर रहा है कि केसर के नाम पर बीज बेचने वाले दलालों से सावधान रहें। केसर के बीज नहीं कंद अर्थात बल्ब लगते हैं। जानकारी देते हुए कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर के प्रिसिंपल साइंटिस्ट डा. पंकज सूद ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के निचले इलाकों में किसानों को केसर की खेती को लेकर गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिला मंडी में किसान केसर के नाम पर सेफफ्लार की खेती कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि असली केसर ठंडे इलाके की एक फसल है और जो किसानों को बीज के रूप में दिया जा रहा है वह असली केसर की बजाए सेफफ्लार या अमेरिकन केसर है। सेफफ्लार के फूल का प्रयोग वनस्पति तेल के लिए होता है। सेफफ्लार के फूल देखने में केसर की तरह ही लगते है इस कारण दलाल अमरिकन केसर के नाम पर इसका बीज बेचकर लाखों रुपये कमा रहे है। उन्होंने कहा कि केसर और सेफफ्लार में कई अंतर है।
केसर ठंडे स्थानों पर होने वाली फसल है, जबकि सेफफ्लार की खेती किसी भी स्थान पर आराम से हो सकती है। केसर की खेती करते समय बल्ब लगाने पड़ते है। जबकि सेफफ्लार की खेती में बीज लगाए जाते है। केसर के एक फूल पर केवल तीन ही पराग आते हैं। वही सेफफ्लार के फुल में कई पराग आते हैं। उन्होंने कहा कि केसर का पौधा जमीन से एक फुट मुश्किल से बढ़ता है, जबकि सेफफ्लार को पौधा चार से पांच फुट तक की बढ़ोतरी कर जाता है। उन्होंने कहा कि सबसे खास बात केसर के पौधे में खुशबू जबरदस्त होती है, जबकि सेफफ्लार में ऐसा नहीं होता। पंकज सूद ने कहा कि सेफफ्लार की भी मार्किट वेल्यू है और किसान इसकी खेती भी कर सकते हैं। लेकिन इसे असली केसर के तौर पर प्रचारित करना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि सेफफ्लार को आयल सीड क्राप के लिए किसान उपयोग में ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि सेफफ्लार के भी औषधीय गुण हैं और असली केसर के लिए एक विकल्प के तौर पर उपयोग में लाया जा सकता है। सेफफ्लार भूख को बढ़ाता है। इसमें असली केसर की तरह रंग तो आ जाता है लेकिन केसर वाले गुण नहीं होते हैं।

बाइट: प्रिसिंपल साइंटिस्ट डा. पंकज सूद कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर।

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