दूब व मोथा घास को जड़ से कैसे खत्म करें। कपास मूंगफली मूंग की खेती।मोथा ग्रास जलाने मारने की दवा।

Описание к видео दूब व मोथा घास को जड़ से कैसे खत्म करें। कपास मूंगफली मूंग की खेती।मोथा ग्रास जलाने मारने की दवा।

About this video :-
इस वीडियो में खेत में फसलों के साथ उगने वाली जंगली दूब घास को हमेशा के लिए खत्म करने की अचूक विधि की जानकारी सरल व सहज भाषा में दी गई है। मैंने एक दवा के उचित उपयोग से 15 दिन में इस घास के जंगल को समूल नष्ट किया है, इसलिए यह जानकारी मैं आपके साथ शेयर कर रहा हूँ। इस दवा का उपयोग संकरी पत्ती वाली घास जैसे दूब, मोथा, गाजर घास आदि को नष्ट करने के लिए ही करना है। यदि खेत में संकरी पत्ती वाली फसल जैसे लहसुन, प्याज, सौंफ, जीरा व इसबगोल आदि हो तो इस दवा का उपयोग कभी भी न करें, इससे संकरी पत्ती की फसल नष्ट हो सकती है।
उम्मीद है कि यह वीडियो आपके लिए काफी उपयोगी साबित होगा।
सभी किसान खरपतवार को नष्ट करने की लिए हर वर्ष किसी न किसी दवा का उपयोग करते हैं, पर वे दवा को अपना प्रभाव दिखाने के लिए पूरा समय नहीं देते जिससे दूब, मोथा या दूब जैसी पत्ती वाली घास ऊपर से नष्ट हो जाती है जबकि जड़ें वैसी की वैसी रहती हैं और कुछ ही समय बाद घास दुबारा उग जाती है।
उचित विधि:- दवा चाहे किसी भी कंपनी की हो, उचित विधि से उपयोग करने पर ही पूरा असर दिखाती है।
1.एक एकड़ या तीन बीघा में 500 ml दवा का उपयोग करें।
2.स्प्रे करने के 15 से 20 दिन तक बुवाई न करें, न ही निराई गुड़ाई करें।
3.20 दिन बाद गहरी जुताई करके 10 दिन तक खेत को पड़ा रहने दें ताकि हवा व धूप से जड़ें पूर्ण रूप से सूख जाए।
4.दवा का उपयोग वर्ष में दो बार करें क्योंकि एक बार दवा के उपयोग से 75% घास नष्ट होती है। दूब की जड़ें जमीन में दो फ़ीट तक गहराई में रहती है, एक स्प्रे से नष्ट नहीं हो सकती।
5.दवा महँगी होने के कारण हम दवा की पूरी मात्रा का उपयोग नहीं करते, जिससे अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते हैं।
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आवश्यक निर्देश:

कीटनाशक छिड़कते समय सावधानियां बरतना आवश्यक है ताकि कीटनाशकों का प्रभावी उपयोग किया जा सके और पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को नुकसान न पहुंचे। यहाँ कीटनाशक छिड़कते समय सावधानियों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी है:

व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण
1. _दस्ताने_: कीटनाशक छिड़कते समय दस्ताने पहनना आवश्यक है ताकि कीटनाशकों के संपर्क में आने से हाथों को बचाया जा सके।
2. _मास्क_: कीटनाशक छिड़कते समय मास्क पहनना आवश्यक है ताकि कीटनाशकों के वाष्पों के संपर्क में आने से फेफड़ों को बचाया जा सके।
3. _चश्मे_: कीटनाशक छिड़कते समय चश्मे पहनना आवश्यक है ताकि कीटनाशकों के संपर्क में आने से आंखों को बचाया जा सके।

कीटनाशकों का चयन
1. _कीटनाशकों की प्रकृति_: कीटनाशकों की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए उनका चयन करना आवश्यक है। कुछ कीटनाशक पौधों के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
2. _कीटनाशकों की मात्रा_: कीटनाशकों की मात्रा को ध्यान में रखते हुए उनका उपयोग करना आवश्यक है। अधिक मात्रा में कीटनाशकों का उपयोग करने से पौधों को नुकसान पहुंच सकता है।

कीटनाशकों का छिड़काव
1. _कीटनाशकों का छिड़काव सावधानी से करें_: कीटनाशकों का छिड़काव सावधानी से करना आवश्यक है ताकि कीटनाशकों का प्रभावी उपयोग किया जा सके।
2. _कीटनाशकों का छिड़काव हवा की दिशा में करें_: कीटनाशकों का छिड़काव हवा की दिशा में करना आवश्यक है ताकि कीटनाशकों के वाष्पों को दूर ले जाया जा सके।

सुरक्षा उपाय
1. _कीटनाशकों के संपर्क में आने से बचें_: कीटनाशकों के संपर्क में आने से बचना आवश्यक है ताकि कीटनाशकों के हानिकारक प्रभावों से बचा जा सके।
2. _कीटनाशकों को सुरक्षित स्थान पर रखें_: कीटनाशकों को सुरक्षित स्थान पर रखना आवश्यक है ताकि कीटनाशकों के दुरुपयोग से बचा जा सके।



स्वास्थ्य सम्बन्धी निर्देश:

कीटनाशकों के दुष्प्रभाव विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं:

मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव
1. *कैंसर*: कुछ कीटनाशकों में कैंसरकारी गुण होते हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
2. *न्यूरोलॉजिकल समस्याएं*: कीटनाशकों के संपर्क में आने से न्यूरोलॉजिकल समस्याएं जैसे कि पार्किंसंस रोग, अल्जाइमर रोग और मानसिक विकार हो सकते हैं।
3. *प्रजनन समस्याएं*: कीटनाशकों के संपर्क में आने से प्रजनन समस्याएं जैसे कि बांझपन, गर्भपात और जन्म दोष हो सकते हैं।
4. *त्वचा और आंखों की समस्याएं*: कीटनाशकों के संपर्क में आने से त्वचा और आंखों की समस्याएं जैसे कि त्वचा की जलन, आंखों की जलन और दृष्टि समस्याएं हो सकती हैं।

पर्यावरण पर दुष्प्रभाव
1. *जल प्रदूषण*: कीटनाशकों के उपयोग से जल प्रदूषण हो सकता है, जो जलीय जीवन के लिए हानिकारक हो सकता है।
2. *मिट्टी प्रदूषण*: कीटनाशकों के उपयोग से मिट्टी प्रदूषण हो सकता है, जो मिट्टी की उर्वरता को कम कर सकता है।
3. *वायु प्रदूषण*: कीटनाशकों के उपयोग से वायु प्रदूषण हो सकता है, जो श्वसन समस्याओं का कारण बन सकता है।
4. *जैव विविधता की हानि*: कीटनाशकों के उपयोग से जैव विविधता की हानि हो सकती है, जो पारिस्थितिकी तंत्र के लिए हानिकारक हो सकती है।

अन्य दुष्प्रभाव
1. *कीटों का प्रतिरोध*: कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से कीटों में प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सकती है, जो कीटनाशकों को कम प्रभावी बना सकती है।
2. *मिट्टी की उर्वरता की हानि*: कीटनाशकों के उपयोग से मिट्टी की उर्वरता की हानि हो सकती है, जो फसलों की उत्पादकता को कम कर सकती है।
3. *आर्थिक नुकसान*: कीटनाशकों के उपयोग से आर्थिक नुकसान हो सकता है, जो किसानों की आय को कम कर सकता है।

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