🌷Shree Kamechchhi Priya Apsara 🌷Complete Detail 🌸Stotram Meaning🌸Apsara Stotram
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🌺🌷✅📲विशेष निर्देश।
⚠️ याद रखें – स्तोत्र पाठ से ४ दिन पहले से ही मांसाहार, नशा आदि से पूरी तरह दूर रहें।
🚫 नॉन-वेज, शराब, सिगरेट से दूरी बनाए रखें।
🌸 अप्सरा साधना में ये सभी चीज़ें वर्जित हैं।
⚡ अप्सरा देवीस्वरूप हैं – कृपा के साथ दंड भी दे सकती हैं। पवित्रता रखें ।
😟 नियम न मानने पर जीवन में अस्थिरता,दरिद्रता, मानसिक कष्ट, पारिवारिक क्लेश बरबादी,पागलपन, जैसे संकट आ सकते हैं।
⚖️ जीवन भर इन नियमों का पालन करें — तभी फल प्राप्त होगा।
🌿 भगवान ने हमें सब्ज़ी, फल, अनाज जैसे पवित्र आहार दिए हैं – इन्हीं का सेवन करें।
✨ इनमें स्वाद, ऊर्जा और शक्ति मांस से कहीं अधिक है।
👩🦰 अप्सरा यदि साधना के समय अनुभव हो या दर्शन हो तो घबराएं नहीं –
🌺 वह एक सुंदर, सौम्या, युवा रूप में आती हैं – अहित नहीं करतीं।
💫 वह स्वप्न में भी दर्शन देती हैं – प्रेम एवं रतिक्रिया के माध्यम से।
कुछ दिन पहले से ही ना पड़े किसी भी प्रकार का कोई कवच जैसे हनुमान चालीसा आदि अप्सरा का आगमन नहीं होगा ।
✅स्तोत्र पाठ की विधि:
1️⃣ स्थान को स्वच्छ और पवित्र करें।
2️⃣ लाल गुलाब फूल आयुर्वेदिक साबुन से स्नान करें।
3️⃣ पवित्र धोए हुए सफेद या गुलाबी वस्त्र पहनें।
4️⃣ एकांत और अंधकारमय स्थान चुनें – बिना लाइट, बिना पंखा।
किसी को इसके बारे में न बताए।
जहां कहीं भी आप यह करोंगे उस जगह पर कोई भी भगवान का चित्र उनसे जुड़ी वास्तु या सामग्री नहीं होनी चाहिए।
5️⃣ गाय के घी का दीपक जलाएं – गुलाब इत्र की हल्की महक रखें। एक गुलाब पुष्प रखें
6️⃣ केसर ,गाय का दूध और घी से बनी मिठाई अर्पित करें।
7️⃣ गुलाब रस, शहद, गुड़ पाउडर और गुलाब पंखुड़ियों से शरबत बनाएं।
8️⃣ सफेद आसन बिछाएं – स्थान और वस्त्र पूरी तरह सफेद हों।
9️⃣ स्तोत्र पढ़ें – प्रेमिका मानकर, प्रेम और समर्पण भाव से।
💖 स्त्रियाँ इस अप्सरा को मित्र स्वरूप मानकर स्तोत्र मंत्र साधना व जप कर सकती हैं।
10️⃣ स्थान को रोमांटिक और मनमोहक बनाएं।
11️⃣ उत्तर दिशा की ओर मुख करें।
✅श्री कामेच्छी प्रिये अप्सरा स्तोत्रम् का पाठ कैसे किया जाए, और कब किया जाए — प्रामाणिक विधि:
यह आवश्यक है आह्वान के लिए स्तोत्र पाठ से पहले अप्सरा मंत्र 4 माला जपे ।
।। ओम् नमः श्री क्लीं कामेच्छी अप्सरायें संसर्ग प्रिये स्वाहा ।।
🌸1. पाठ का उपयुक्त समय:
प्रातः ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच):
यह समय अत्यंत पवित्र माना गया है। मन और वातावरण दोनों शांत होते हैं।
इस समय स्तोत्र का पाठ करने से आत्मा पर गहरा प्रभाव पड़ता है, भक्ति, ध्यान और आंतरिक शुद्धि होती है।
🌸संध्या समय (सूर्यास्त के बाद):
देवी की रजोगुणात्मक शक्तियाँ इस समय सक्रिय होती हैं।
प्रेम, आकर्षण, सौंदर्य और संबंधों में मधुरता हेतु यह समय उपयुक्त है।
स्तोत्र को दीपक और सुगंध के साथ पाठ करना श्रेष्ठ होता है।
🌸रात्रि का मध्यकाल (रात्रि 11 बजे के बाद और विशेष अवसरों पर भी पाठ करें):
यह समय तांत्रिक, रहस्यमयी और अप्सरासाधना जैसे कार्यों के लिए अत्यंत प्रभावकारी होता है।
यदि साधक एकांत में, मौन रहकर, संकल्पपूर्वक स्तोत्र का पाठ करे, तो वह अद्भुत फल प्राप्त करता है — जैसे देवी का स्वप्न में दर्शन, हृदय में प्रकट अनुभव, आकर्षण शक्ति का जागरण आदि।
🌷 फिर स्तोत्र का शुद्ध उच्चारण से पाठ करें।
एक-एक श्लोक श्रद्धा और मन से पढ़ें। भाव के साथ पढ़ना बहुत महत्वपूर्ण है।
🙏पाठ के बाद कुछ क्षण आंखें बंद कर ध्यान करें।
देवी को अपने हृदय में कल्पना करें — वे आपके समक्ष खड़ी हैं, गुलाब से सुशोभित, मुस्कराती हुई।
✅कितने दिन करें? और फल क्या होगा?
यदि आप इसे 21 दिनों तक प्रतिदिन 1 बार पाठ करें, तो यह साधना की पूर्ण न्यूनतम अवधि मानी जाएगी। इससे देवी की कृपा आरंभ हो जाती है।
🌷यदि आप 11 बार प्रतिदिन पाठ करें, तो आपको प्रेम, आकर्षण, आत्मिक शक्ति, रति माधुर्य और दिव्यता का अनुभव होने लगता है।
💫विशेष रात्रियों जैसे शुक्रवार, पूर्णिमा, या नवरात्रि की रातों में, आप इस स्तोत्र का 108 बार पाठ करें — तो यह पूर्ण फलदायी माना जाता है। इससे देवी के दर्शन, दिव्य स्वप्न या प्रेम-मंत्र की प्राप्ति संभव है।
💯किन बातों का ध्यान रखें:
पाठ करते समय कोई भी अपवित्र भावना या द्वेष न रखें।
भोजन शुद्ध हो, और शरीर भी पवित्र हो।
जहां पाठ करें, वह स्थान शांत और सुंदर हो।
देवी के लिए सदा प्रेम और आदरपूर्ण भाषा व भावना रखें।
स्तोत्र के अंत में देवी से अपने हृदय की बात कहें — जैसे प्रार्थना, प्रेम या कामना।
✔️*वह अनुभव करवाएगी – अपनी उपस्थिति का अहसास देगी।
स्वप्न या प्रत्यक्ष रूप में दर्शन हो सकते हैं।
*भयभीत न हों – अप्सरा दर्शन सहज होते हैं।
*जब अप्सरा प्रकट हो जाए । तो जो भी भौग चढ़ाया है सब उसे दें ।
जिसमें फूल मिठाई पहले देना है ।
फिर प्रेम भरी बातें करें ।
उसकी सुंदरता और शरीर की तारीफ करें एक प्रेमिका की तरह ।
अप्सरा को छूने से पहले आप वरदान या वचन मांग सकते हैं।
अप्सरा की इच्छा हुई तो वह रतिक्रिया कर सकती है लेकिन आप कोई हरकत ना करें –
विवाद या नकारात्मक विचार न करें – उसे प्रेम से ‘प्रिये’, ‘सुंदरी’ कह कर बुलाएं।
✅आपको किसी को भी नहीं बताना है कि आप इस स्तोत्र साधना मंत्र का जाप करते हैं ।
याद रहे इस सिद्धि का गलत उपयोग न करें वरना दुष्ट परिणाम हो सकते हैं ।
जय श्री लक्ष्मी नारायण नारायण हरि हरि ।
जय कामदेव रतिक्रियाये ।
"जय श्री कामेच्छी प्रिये अप्सरा"
एक सौम्यतामा, दिव्य प्रेम-साधना का रहस्यपूर्ण मार्ग
धन्यवाद हर हर महादेव। 🙏
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