Logo video2dn
  • Сохранить видео с ютуба
  • Категории
    • Музыка
    • Кино и Анимация
    • Автомобили
    • Животные
    • Спорт
    • Путешествия
    • Игры
    • Люди и Блоги
    • Юмор
    • Развлечения
    • Новости и Политика
    • Howto и Стиль
    • Diy своими руками
    • Образование
    • Наука и Технологии
    • Некоммерческие Организации
  • О сайте

Скачать или смотреть बाबा गुरु घासीदास का तपस्या स्थल,, पंचकुंडीय धाम

  • savitark news
  • 2022-01-14
  • 217
बाबा गुरु घासीदास का तपस्या स्थल,, पंचकुंडीय धाम
  • ok logo

Скачать बाबा गुरु घासीदास का तपस्या स्थल,, पंचकुंडीय धाम бесплатно в качестве 4к (2к / 1080p)

У нас вы можете скачать бесплатно बाबा गुरु घासीदास का तपस्या स्थल,, पंचकुंडीय धाम или посмотреть видео с ютуба в максимальном доступном качестве.

Для скачивания выберите вариант из формы ниже:

  • Информация по загрузке:

Cкачать музыку बाबा गुरु घासीदास का तपस्या स्थल,, पंचकुंडीय धाम бесплатно в формате MP3:

Если иконки загрузки не отобразились, ПОЖАЛУЙСТА, НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если у вас возникли трудности с загрузкой, пожалуйста, свяжитесь с нами по контактам, указанным в нижней части страницы.
Спасибо за использование сервиса video2dn.com

Описание к видео बाबा गुरु घासीदास का तपस्या स्थल,, पंचकुंडीय धाम

छत्तीसगढ़ को संत महात्माओं का जन्मस्थली कहा जाता है। यहां की शस्य -श्यामला पावन भूमि में अनेक संतो-महात्माओं का जन्म हुआ। उनमें 18वीं सदी में छत्तीसगढ़ में सतनाम धर्म के प्रवर्तक सतगुरू बाबा घासीदास जी का प्रमुख स्थान है। उनका जन्म 18 दिसम्बर सन् 1756 को पिता मंहगूदास और माता अमरौतिन के घर ग्राम गिरौदपुरी में हुआ था ।

गुरु घासीदास जी बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि, चिंतनशील, एकांतप्रिय, धार्मिक स्वभाव और सत्संग में रूचि रखने वाले थे। वे खेल-खेल में हम जोली बच्चों को शिक्षा देते व कठिन से कठिन समस्याओं का आसान हल निकालकर विपरित परिस्थितियों से उबार लेते थे। गुरू घासीदास जी के विलक्षण और विरक्त स्वभाव को देखकर ही उनके पिता मंहगूदास जी ने उनका विवाह सिरपुर निवासी अंजोरी दास और सत्यवती उर्फ सावित्री की सुंदर, सुशील कन्या सफुरा के साथ कर दिये। सफुरा करूणा, दया, त्याग, तपस्या और ममताकी साक्षात् प्रतिमूर्ति थी। उनसे गुरू घासीदास जी के चार पुत्र क्रमशः अमरदासजी, बालक दास जी, आगर दास जी, अड़गाड़िया दास जी, एवं एक पुत्री सहोद्रा का जन्म हुआ।

गुरू घासीदास जी का समय मराठा और अंग्रेजी शासन का संधिकाल था । अतः तत्कालीन सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों का उनके मन मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ा। समाज में व्याप्त अन्याय, अत्याचार, छुआछुत, ऊंच-नीच, जातिगत भेदभाव, रूढ़िवाद धार्मिक अंधविश्वास और आडंबर आदि से वे बहुत विचलित हुए। इस सब परिस्थितियों से विरक्त होकर एक दिन वे जंगल चले गये और तप, साधना में लीन हो गये।

छाता पहाड़ तथा औराधौंरा और तेंदू पेड़ के नीचे छः महीने की कठोर तपस्या के बाद गुरू घासीदास जी को ‘सतनाम’ रूपी आत्मज्ञान की उपलब्धि हुई। ‘सतनाम’ ज्ञान के प्राप्त होने के साथ-साथ उन्हें अलौकिक शक्तियां भी प्राप्त हुई।

वे वापस अपने घर गिरौदपुरी आए। तब तक उनकी पत्नि सफुरा का देहांत हो चुका था। वे गांव वालों से कहने लगे कि जमीन में दफनाएं मृत सफुरा को निकाला जाये, वे उन्हें जीवित करेंगे। उनके हठ को देखकर ग्रामीणों ने कहा कि अब तक कोई पुनर्जीवित नहीं हुआ है और यह असंभव है। परीक्षा के लिये पहले वे एक गाय के मृत बछड़े को जीवित करके दिखाएं। तब सतगुरू

Комментарии

Информация по комментариям в разработке

Похожие видео

  • О нас
  • Контакты
  • Отказ от ответственности - Disclaimer
  • Условия использования сайта - TOS
  • Политика конфиденциальности

video2dn Copyright © 2023 - 2025

Контакты для правообладателей [email protected]