Karauli ll डांग की रानी-करौली||Top 5 Places You Must Visit in Karauli

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1 पांचना बांध

पांचना बांध करौली जिला मुख्यालय से ३ किमी दूर स्थित है। यह राजस्थान का एकमात्र मिट्टी से बना बांध है। यह करौली जिले का सबसे बड़ा बांध है जो पांच नदियों के (बरखेडा,भद्रावती,अटा,मांची,भैंसावट) के संगम पर स्थित है। इस बांध से एक नदी , जिसे गंभीर नदी के नाम से जाना जाता है, निकलती है। इस बांध पर करौली –हिंडोन मार्ग पर एक पुल बना हुआ है जिसे अंजनी का पुल के नाम से जाना जाता है क्योकि इस पुल के समीप पहाड़ी पर अंजनी माता का मंदिर है।

2 तिमनगढ़ किला

तीमनगढ़ करौली से 40 किलोमीटर दूर है। इस किले का निर्माण 12वीं शताब्‍दी के मध्‍य में हुआ था। अपने समय में तिमनगढ़ स्‍थानीय सत्‍ता का केंद्र था। 1196 में यहां के राजा कुंवर पाल का हराकर मोहम्‍मद गौरी और उनके सेनापति कुतुबुद्दीन ने इस पर अपना कब्‍जा कर लिया था। इसके बाद राजा कुंवर पाल को रेवा के एक गांव में शरण लेनी पड़ी। किले के मुख्‍य द्वार पर मुगल स्‍थापत्‍य कला का प्रभाव दिखाई पड़ता है। लेकिन किले के आं‍तरिक हिस्‍सों पर यह प्रभाव नहीं है। इसकी दीवारें, मंदिर और बाजार अपने सही रूप में देखे जा सकते हैं। किले से सागर झील का विहंगम दृश्‍य भी देखा जा सकता है

3 श्री कैला देवी मंदिर

श्री कैला देवी जी मंदिर करौली से 23 किलोमीटर दूर त्रिकूट पर्वत पर स्थित है। यह माना जाता है कि इस मंदिर की स्‍थापना 1100 ई. में हुई थी। श्री कैला देवी पूर्वी राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश और उत्‍तर प्रदेश के लाखों लोगों की आराध्‍य देवी हैं। प्रतिवर्ष करीब 60 लाख श्रद्धालु यहां दर्शनों के लिए आते हैं। यह मंदिर देवी दुर्गा के 9 शक्तिपीठों में से एक है। चैत्र नवरात्रों में यहां मेले का आयोजन किया जाता है। लांगुरिया गीत प्रसिद्ध है।

4 श्री महावीरजी मंदिर

श्री महावीर जी करौली से ३६ किलोमीटर दूर महावीरजी चांदनपुर गांव मे स्थित है। यह मंदिर जैन धर्म की आस्था का केन्द्र है। इस मन्दिर मे भगवान महावीर की प्रतिमा है, जोकी पद्मासन मे विराजित है। मंदिर के पास हि गम्भीर नदी बहती है। महावीरजी कि प्रतिमा को जमीन से खोद कर प्राप्त किया गया है, जिससे से सम्बन्धित कथा है कि एक ग्वाले कि कामधेंनु गायें प्रतिदिन एक टीले पर जा कर अपना सारा दुध उस टीले पर फैला देती थीं। इस घटना से आश्चर्य चकित होकर ग्वाले व गाँव वालो ने उस टीले कि खुदाई कि तो वहाँ से महावीरजी कि मुर्ति निकली। यहाँ प्रतिवर्ष महावीर जयंती (चैत्र शुक्ल त्रयोदशी) पर (अप्रैल माह मे) मेले का आयोजन किया जाता है, जो कि पाँच दिनो तक चलता है। मेले के अंतिम दिन रथ यात्रा निकाली जाती है व कई धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन किये जाते हैं। देशभर से हजारों श्रद्धालु इसमे सम्मिलित होने आते हैं। यह मंदिर सांप्रदायिक सदभावना का केंद्र है।

5 करौली फोर्ट

करौली की स्‍थापना 955 ई. के आसपास राजा विजय पाल ने की थी जिनके बारे में कहा जाता है कि वे भगवान कृष्‍ण के वंशज थे।एक समय जलेसर व करौली राज्यों पर जादौन राज परिवारों का शासन रहा है। इनका निकास मथुरा के यादव शासक ब्रह्मपाल अहीर से है।1818 में करौली राजपूताना एजेंसी का हिस्‍सा बना। 1947 में भारत की आजादी के बाद यहां के शासक महाराज गणेश पाल देव ने भारत का हिस्‍सा बनने का निश्‍चय किया। 7 अप्रैल 1949 में करौली भारत में शामिल हुआ और राजस्‍थान राज्‍य का हिस्‍सा बना।



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