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Скачать или смотреть श्रीकृष्ण द्वारा कलयुग के बारे मे कही गयी 5 बातें, कड़वी परन्तु सत्य | Religion | पौराणिक कथा

  • Rahasya Channel
  • 2022-12-14
  • 33
श्रीकृष्ण द्वारा कलयुग के बारे मे  कही गयी  5 बातें, कड़वी परन्तु सत्य | Religion | पौराणिक कथा
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श्रीकृष्ण द्वारा कलयुग के बारे मे कही गयी 5 बातें, कड़वी परन्तु सत्य | Religion | पौराणिक कथा

मित्रों , सांसारिक इंसान की सबसे बड़ी धरोहर रिश्ते ही हैं।

कृष्ण का जीवन कहता है,आप कोई भी हों,संसार में आए हैं तो संघर्ष हमेशा रहेगा। मानव जीवन में आकर ईश्वर भी सांसारिक चुनौतियों से बच नहीं सकता। श्रीकृष्ण कहते हैं परिस्थितियों से भागो मत,उसके सामने डटकर खड़े हो जाओ। क्योंकि,कर्म करना ही मानव जीवन का पहला कर्तव्य है।


भगवान श्रीकृष्ण ने जीवनभर कभी उन लोगों का साथ नहीं छोड़ा,जिनको मन से अपना माना। अर्जुन से वे युवावस्था में मिले,ऐसा महाभारत कहती है,लेकिन अर्जुन से उनका रिश्ता हमेशा मन का रहा। सुदामा हो या उद्धव। कृष्ण ने जिसे अपना मान लिया,उसका साथ जीवन भर दिया। रिश्तों के लिए कृष्ण ने कई लड़ाइयां लड़ीं एवं रिश्तों से ही कई लड़ाइयां जीती।

भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के पहले शांति से समझौता करने के लिए पांडवों और कौरवों के बीच मध्यस्थता की। हालांकि दोनों ही पक्ष युद्ध लड़ने के लिए आतुर थे लेकिन कृष्ण ने हमेशा चाहा कि कैसे भी युद्ध टल जाए। झगड़ों से कभी समस्याओं का समाधान नहीं होता है। शांति के मार्ग पर चलकर ही हम समाज का रचनात्मक विकास कर सकते हैं। कृष्ण ने समाज की शांति से मन की शांति तक,दुनिया को ये समझाया कि कोई भी परेशानी तब तक मिट नहीं सकती,जब तक वहां शांति ना हो। फिर चाहे वो समाज हो,या हमारा खुद का मन।सच्चा सुख हम शांति से ही प्राप्त कर सकते हैं।

भगवान श्रीकृष्ण ने कर्म पर जोर दिया है,उन्होंने रणभूमि में अर्जुन को समझते हुए कहा है कि मनुष्य को सदैव अच्छे कर्म करते जाना चाहिए,फल की चिंता ईश्वर पर छोड़ देनी चाहिए। जीवन जीने के तरीके को अगर किसी ने परिभाषित किया है तो वो कृष्ण हैं। कर्म से होकर परमात्मा तक जाने वाले मार्ग को उन्हीं ने बताया है। श्रीकृष्ण का संपूर्ण जीवन ही एक प्रबंधन की किताब है,जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के लिए जीवन जीने के लिए श्रेष्ठम सूत्र हैं। अगर आप दिमाग को शांत और मन को स्थिर रखने की कोशिश करें तो बुरी परिस्थितियों में भी आप अपने लिए कुछ बहुत बेहतरीन हल निकाल पाएंगे,ये कृष्ण सिखाते हैं। कृष्ण से सीखें कैसे जीवन को श्रेष्ठ बनाया जाए ?

जगत में प्रत्येक व्यक्ति में किसी ना किसी प्रकार की निर्बलता अवश्य होती है। जैसे कोई बहुत तेजी से दौड़ नहीं पाता तो कोई अधिक भार नहीं उठा पाता। कोई आसाध्य रोग से पीड़ित रहता है तो कोई पढ़े हुए पाठों को स्मरण में नहीं रख पाता। ऐसे अनेकों उदाहरण और भी हैं। क्या आप ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जिसे सब कुछ प्राप्त हों। और हम जीवन की उस एक निर्बलता को जीवन का केंद्र मानकर जीते हैं। जिस कारणवश सदा ह्रदय में दुःख और असंतोष रहता है । निर्बलता मनुष्य को जन्म से अथवा संजोग से प्राप्त होती है किन्तु उस निर्बलता को मनुष्य का मन अपनी मर्यादा बना लेता है। किन्तु कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो अपने पुरुषार्थ और श्रम से उस निर्बलता को पराजित कर देते हैं। क्या भेद हैं उनमे और अन्य लोगों में ये आपने कभी विचार किया है। सरल सा उत्तर है इसका जो व्यक्ति निर्बलता से पराजित नहीं होता,जो पुरुषार्थ करने का साहस रखता है ह्रदय में वो निर्बलता को पार कर जाता है। अर्थात निर्बलता अवश्य ईश्वर देता है किन्तु मर्यादा,मर्यादा मनुष्य का मन ही निर्मित करता है।

   • श्रीकृष्ण द्वारा कलयुग के बारे मे  कही गयी...  

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