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👉तो चलिए बताते हैं कि हस्तमैथुन की लत से छुटकारा कैसे पाया जा सकता है.
★ हस्तमैथुन रोकने के उपाय एक परिपक्व समझ विकसित करना ...
★ दृढ़ संकल्प और इच्छा शक्ति दृढ़ संकल्प से आप हस्तमैथुन की लत छोड़ सकते हैं. ...
★ आकर्षण वाला समय ...
★ गलतफहमियां ...
★ वास्तविक उम्मीद ...
★अध्यात्म की मदद ...
★पॉर्न से पाएं छुटकारा ...
★विशेषज्ञ की मदद ...
मन को डाइवर्ट करो
जब हस्तमैथुन की इच्छा उत्पन्न हो तब मन को दूसरे काम में या कोई पसंद की प्रवृत्ति या वस्तु में डायवर्ट कर देना जिससे उसकी इच्छा को टाला जा सके।
एकांत टालना:
हस्तमैथुन में से बाहर निकलने के लिए, जिस वक्त उसका विचार आए तब परिस्थिति बदल डालना या एकांत टालना अति आवश्यक है, इस तरह हस्तमैथुन करने के विचार रूक जाएँगे।
दृढ़ निश्चय करो:
हस्तमैथुन में से निकलना हो तो पक्का याने के दृढ़ निश्चय होना ज़रूरी है। भले ही एक दो बार भूल हो जाए पर जो आपका निश्चय अटूट हो तो परिस्थितियां भी आपकी मदद करेगी। और धीरे-धीरे इसमें से बाहर निकल जाओगे।
माफी मांगना दोषों की:
हस्तमैथुन के कारण हुई जीव हिंसा के लिए और जिस व्यक्ति के लिए कल्पना करके हस्तमैथुन किया हो उसके अंदर बैठे हुए भगवान के पास सच्चे दिल से माफ़ी माँगनी और फिर से ऐसे कभी भी ना हो ऐसा दृढ़ निश्चय करना चाहिए।
मांगना शक्ति भगवान के पास:
हस्तमैथुन के दोष अगर होते रहते हो तो उसके सामने, सच्चे दिल से भगवान को याद करके उनके पास शक्तियां मांग सकते है के 'हे भगवान! मैं निश्चय मज़बूत करता हूं, मुझे निश्चय मज़बूत करने की शक्ति दीजिए।' परम पूज्य बाबा जय गुरुदेव जी महाराज ने इसके लिए एक प्रार्थना दी है कि जो हर दिन करने से इस भूल में से बाहर निकल सकते हैं।
"हे दादा भगवान (हमारे भीतर के भगवान)! मुझे किसी भी देहधारी जीवात्मा के प्रति स्त्री, पुरुष या नपुंसक, कोई भी लिंगधारी हो, तो उसके संबंध में किचिंत्मात्र भी विषय-विकार संबंधी दोष, इच्छाएँ, चेष्टाएँ या विचार संबंधी दोष न किये जायें, न करवाये जायें या कर्ता के प्रति अनुमोदना न की जाये, ऐसी परम शक्ति दिजीए। मुझे निरंतर निर्विकार रहने की परम शक्ति दिजीए।"
आत्मसुख के सामने सब सुख लगे फिके:
विषय के सुख की भ्रामक मान्यता सामाजिक प्रभाव से मज़बूत होती है। अगर आत्मज्ञान मिल जाए तो फिर इन विषय सुखो की ज़रूरत ही नहीं रहती। जैसे जलेबी खाने के बाद चाय फीकी लगती है उसी तरह ज्ञानिओने, तीर्थंकरोंने इस जगत को जो आत्म सुख चखाया है उसके सामने विषय सुख बेस्वाद ही लगते है । इसलिए एक बार जो आत्मा के सुख का अनुभव हो जाए तो फिर इस विषय के सुख की इच्छा रहेगी ही नहीं।
आत्मा के सुख का अनुभव कौन करा सकता है? जिसे आत्मा के अनंत सुख का अनुभव हुआ हो ऐसे आत्मज्ञानी ही आत्मा का ज्ञान दे सकते हैं। इस काल में आत्मज्ञानी पूज्य पंकज जी महाराज (जय गुरुदेव) से ऐसा आत्मज्ञान प्राप्त हो सके ऐसा है। हम भी उनकी तरह आत्मा के सुख का अनुभव कर सके ऐसा है। और ऐसा सुख प्राप्त हो जाए तो फिर इन विषयो के काल्पनिक सुखों के बंधन से आराम से बाहर निकला जा सकता है।
★हस्तमैथुन की लत को कैसे छोड़ें?★
हस्तमैथुन...एक ऐसी बुरी आदत है जिसमें से किस तरह से छूटे आपको यह विचार आया होगा । शायद इसीलिए आप यहां आए होंगे। बहुत लोगों को ऐसा लगता है कि इसमें से कभी भी छूट नहीं सकते। पर ऐसा नहीं है। हमें जो इसमें से बाहर निकलना हो, तो उसके लिए सच्ची समझन की ज़रूरत है और वो मिल जाए तो पक्का इसमें से हम बाहर निकल सकते हैं। परम पूज्य दादा भगवान ने इसके ऊपर बहुत सुंदर स्पष्टता व्यक्त कि है। इस आदत में से बाहर निकलने के लिए हमें इसके कारण, परिणाम और उपाय की समझ प्राप्त करनी बहुत ज़रूरी है।
★हस्तमैथुन के कारण...
» यह मान्यता कि हस्तमैथुन में आनंद है:
हस्तमैथुन का सबसे बड़ा कारण तो यह ही है कि इसमें सुख माना हुआ है। पर अगर सच में हस्तमैथुन मे सुख होता तो फिर क्यों हस्तमैथुन के बाद आपको पछतावे का अनुभव होता है? किस वजह से आप एकदम निर्बल और निस्तेज हो जाते हो? क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है? सच में अगर इसके बारे में विचार किया जाए तो भी समझ सकेंगे कि सचमुच इसमें सुख है ही नहीं। सिर्फ सामाजिक प्रभाव और काल्पनिक मान्यताओं के आधार पर मान लिया है कि सुख है।
» कल्पना और चिंतवन के कारण से:
कई बार विषय की कल्पना की वजह से हम इसमें गिर जाते हैं। जैसा कि, किसी स्त्री का चित्र याद आए, कोई खराब फिल्में देखी हो या तो कभी मात्र कल्पना से व्यक्ति खड़ी करके उसके लिए विषयी चिंतवन और कल्पना कर लेते हैं। फिर कल्पना का थिएटर चालू करते हैं कि ऐसा होगा, फिर वैसा होगा तो कैसा मज़ा आएगा, ऐसी कल्पना की पुरी पिक्चर देखते हैं और यह कल्पना हमें अंत में हस्तमैथुन करवाती है।
★ हस्तमैथुन दोष का खराब परिणाम:
»हस्तमैथुन के दोष के कारण होते शारीरिक और मानसिक नुकसान :
बहुत हस्तमैथुन करने से अशक्ति आ जाती है। क्योंकि आप जो कुछ खाते हो, पीते हो, सांस लेते हो, इन सभी का परिणाम होते, होते, होते उसका... जिस तरह इस दूध से दही बनाते हैं तो दही, वह अंतिम परिणाम नहीं है। दही से फिर, वह होते होते फिर मक्खन बनता है, मक्खन से घी बनता है। घी वह अंतिम परिणाम है। इस तरह, विज्ञान ने शरीर के 7 घटक तत्व की पहचान की है जो रक्त से बनते हैं। उसमें से एक में से हड्डी बनती है, एक में से मांस बनता है, उसमें से फिर आखिर में सबसे आखिर में वीर्य बनता है। अंतिम अर्क वीर्य है| वीर्य तो पुद्गलसार कहलाता है! अगर विषय विचार आए और उसे पोषण दिया, तो वीर्य मर जाता है। और फिर किसी भी रास्ते डिस्चार्ज हो जाता है। बहुत हस्तमैथुन होता रहे तो देहबल नहीं रहता, पुरा मनोबल ख़त्म हो जाता है और बुद्धि बल भी खत्म हो जाता है, अहंकार भी ढीला पड़ जाता है।
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