मिक्स ब्रीड बाली भैंस की पहचान कैसे करें/दूध बाली अच्छी भेंस की नसल की पहचान/मुर्रा की पहचान#shorts
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दूध वाली भैंस की पहचान के लिए उसके थन, शरीर की बनावट, त्वचा, पूंछ और चाल-ढाल पर ध्यान दें; अच्छी भैंस के थन भरे हुए, नसें उभरी हुई, त्वचा चिकनी और लचीली, पूंछ लंबी और लचीली, शरीर पीछे से चौड़ा और आगे से पतला होता है, जो अच्छे दूध उत्पादन का संकेत देते हैं, खासकर मुर्रा जैसी नस्लें।
पहचान के मुख्य लक्षण:
थन (Udders):
पूर्ण विकसित और समान: चारों थनों का आकार एक जैसा और पूरी तरह विकसित होना चाहिए।
दूध की नसें: थनों पर और पेट के निचले हिस्से में उभरी हुई, टेढ़ी-मेढ़ी नसें (दूध की नसें) अधिक दूध उत्पादन का संकेत देती हैं।
सिकुड़ना: दूध निकालने के बाद थन पूरी तरह सिकुड़ जाने चाहिए, जैसे गुब्बारा हवा निकलने के बाद सिकुड़ जाता है।
शरीर और त्वचा:
बनावट: शरीर पीछे से चौड़ा और आगे की तरफ से पतला होना चाहिए (पूंछ के पास चौड़ा)।
त्वचा: चिकनी, चमकदार और लचीली होनी चाहिए, जिससे उसमें बाल कम हों।
पैर: पैर छोटे और मजबूत होने चाहिए
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देसी भैंस की पहचान उसके मजबूत, गहरे रंग (काला या भूरा), बड़े सिर, घुमावदार सींग, मज़बूत पैरों और लंबी पूंछ से होती है, जो आमतौर पर भारी और घने बालों वाली होती है; इसकी त्वचा चिकनी, चमकदार, आँखें चमकीली और थन विकसित होने चाहिए, और दूध के लिए, यह पीछे से चौड़ी दिखती है और इसकी दूध की नसें उभरी हुई होती हैं, जो इसे अन्य नस्लों से अलग करती हैं। मुर्रा भैंस की मुख्य पहचान उसके रिंग जैसे घुमावदार सींग, जेट ब्लैक रंग, और लंबी पूंछ है। इसके अलावा, उसका शरीर आगे से पतला और पीछे से चौड़ा होता है, और माथे पर कोई सफेद निशान नहीं होता।
आप मुर्रा भैंस की पहचान इस वीडियो में भी देख सकते हैं:जाफराबादी भैंस की पहचान उसके भारी-भरकम शरीर, बड़े और नीचे की ओर मुड़े हुए सींगों (जो गोल छल्लेदार होते हैं), काले या गहरे भूरे रंग, भारी माथे और छोटे मुंह से होती है; माथे पर सफेद निशान होना भी इसकी खास पहचान है, और यह अपने भारी वजन व उच्च वसा वाले दूध के लिए जानी जाती है।सुरती भैंस की पहचान उसके दरांती के आकार के सींग, शांत स्वभाव, मध्यम कद-काठी और गर्दन या छाती पर दो सफेद धारियों (कॉलर) से होती है, जिसका रंग काला, भूरा या सिल्वर-ग्रे होता है, और यह कम चारे में भी अच्छा दूध देती है। हरियाणवी भैंस (मुर्रा नस्ल) की पहचान उसके गहरे काले रंग, छोटे और छल्लेदार (रिंग-शेप) सींग, मजबूत और भारी शरीर, लंबी पूँछ, और शांत स्वभाव से होती है; आगे से पतली और पीछे से चौड़ी (V-आकार) दिखती है, आँखों के आस-पास सफेद निशान नहीं होते (सिवाय पूंछ के), और चमड़ी चिकनी व चमकदार होती है, जो इसे दूध उत्पादन के लिए एक उत्तम नस्ल बनाती है. जर्सी गाय की पहचान उसके हल्के भूरे या लाल-भूरे रंग (सफेद धब्बों के साथ), छोटे कद, बड़े और गोल थनों, पतली पूंछ और शांत स्वभाव से होती है, जबकि भैंस की पहचान उसके काले या गहरे रंग, भारी शरीर, चौड़े सींगों (नस्ल के अनुसार) और अधिक दूध (जर्सी गाय से कम, लेकिन देसी गाय से ज़्यादा) देने की क्षमता से होती है; जर्सी गाय कम चारा खाकर ज़्यादा दूध देती है, जबकि भैंस की नस्लें अलग होती हैं, पर आमतौर पर जर्सी गाय दुबले शरीर और भैंस भारी दिखती है।दूध देने वाली गाय और भैंस की पहचान उनके दूध के रंग, गाढ़ेपन और पशु के शारीरिक लक्षणों से होती है; गाय का दूध हल्का पीला/सफेद, पतला होता है, जबकि भैंस का दूध सफेद और गाढ़ा होता है, और भैंस के थन विकसित, नसें उभरी हुई होती हैं और पूंछ लंबी होती है, जबकि गाय के पैर मजबूत, शरीर त्रिकोणीय और आँखें चमकदार होती हैं, जो ज्यादा दूध देने की क्षमता दर्शाते हैं। गिर गाय की पहचान उसके बड़े, हुक जैसे मुड़े हुए कान, चौड़े माथे, लाल-भूरे या चितकबरे रंग और मजबूत कूबड़ से होती है, जबकि भैंस की पहचान (जैसे मुर्रा) भारी शरीर, काले रंग, और गोल, बड़े थन से होती है, और दोनों की शारीरिक बनावट (विशेषकर कान और सींग) में अंतर होता है, गिर गाय में अधिक A2 प्रोटीन और रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। दुधारू भैंस की पहचान के लिए उसके शरीर की बनावट (पीछे से चौड़ी, आगे से पतली, तिकोनी), चिकनी और चमकदार त्वचा, बड़ी और उभरी हुई नसें वाले थन (जो समान दूरी पर हों और जिनमें गांठ न हो), और शांत स्वभाव पर ध्यान दें; स्वस्थ भैंस के थनों में दूध की धार पतली न होकर मोटी और भरपूर होनी चाहिए और गोबर के बाद उसका पिछला हिस्सा (एनल एरिया) सूखा रहना चाहिए, साथ ही मुर्रा जैसी नस्लें अधिक दूध देती हैं और ब्यात के दूसरे-तीसरे वर्ष में सबसे ज्यादा दूध देती हैं, जिसे बार-बार दूध दुहकर और पशु की उम्र देखकर परखा जा सकता है। दुधारू पशुओं को भरपूर दूध के लिए संतुलित आहार दें, जिसमें हरा चारा (नेपियर, ज्वार, बरसीम), सूखा चारा (भूसा, पुआल), और संतुलित दाना मिश्रण (गेहूं, चोकर, खली, दालों का मिश्रण, नमक और खनिज लवण) शामिल हों; इन्हें अलग-अलग खिलाने के बजाय मिलाकर (TMR) खिलाना बेहतर है, और पर्याप्त साफ पानी ज़रूर दें। गाभिन पशु (pregnant animal) को हरा चारा, सूखा चारा, और संतुलित दाना (प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज युक्त) देना चाहिए, जिसमें खनिज मिश्रण (Mineral Mixture) और नमक ज़रूर शामिल हो, खासकर अंतिम महीनों में कैल्शियम और ऊर्जा (जैसे जौ, दलिया) पर ध्यान दें, ताकि मां और बच्चे दोनों स्वस्थ रहें।
मुख्य आहार (Daily Diet):
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