श्रेय:
संगीत एवम रिकॉर्डिंग - सूर्य राजकमल
लेखक - रमन द्विवेदी
भक्तों नमस्कार! प्रणाम! और अभिनन्दन... भक्तों युगों युगों से हमारी परंपरा श्रद्धा, भक्ति, आस्था और आध्यात्म को समर्पित है। वर्षों से हम अपने ईश्वर को प्रत्यक्ष देखने के आदी हैं। भगवान के अमूर्त रूप का नहीं मूर्त रूप का दर्शन करने के अभ्यस्त हैं। कई बार हम अपने आराध्य को अपना संबंधी बनाकर दुर्लभ से दुर्लभतम की सिद्धि कर लेते हैं। इसीलिए हम अपने आराध्य के लिए वो सारी व्यवस्थाएँ करने का प्रयास करते हैं जो स्वयं के लिए चाहते हैं। इन्ही भावनाओं को आत्मसात किया था बीकानेर के महाराज राव लूणकरन ने। जिसका परिणाम है बीकानेर का श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर.....
मंदिर के बारे में:
भक्तों श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर बीकानेर के सबसे पुराने मंदिरों और लोकप्रिय जगहों में से एक है। यह मंदिर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित हैं। जहाँ दूर दूर से हजारों पर्यटक और श्रद्धालु यहाँ दर्शन पूजन करने और भगवान की भक्ति करने आते हैं तो वहीं कुछ भक्त यहाँ के शांत वतावरण में आत्मिक आनंद प्राप्त करने आते हैं।
मंदिर का इतिहास:
भक्तों श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर का निर्माण, बीकानेर के महाराजा राव लूणकरन ने करवाया था। इस मंदिर का निर्माण कार्य विक्रम संवत 1504 में प्रारम्भ हुआ और 1526 सम्पन्न हुआ। इस प्रकार ये मंदिर पूरे 22 वर्ष में बनकर तैयार हुआ। मंदिर की इमारत लाल बलुआ पत्थरों और संगमरमर के मिश्रण से बनी है। मंदिर के लिए लाल बलुआ पत्थर जैसलमेर से मंगवाए गए और संगमरमर मकराना से। लाल बलुआ पत्थरों के साथ संगमरमर के इस्तेमाल से इस मंदिर की सुंदरता कई गुना बढ़ जाती है।
मंदिर की वास्तुकला:
भक्तों लक्ष्मीनाथ जी का यह मंदिर लगभग 600 वर्षों पूर्व निर्मित हुआ है। इसके निर्माण में इस्तेमाल लाल बलुआ और संगमरमर पत्थरों के ऊपर कई अनुपम शिल्पकारियाँ हैं, खूबसूरत चित्रकारियाँ हैं, अद्भुत जीवंत मूर्तियां हैं और चांदी की अद्वितीय कलाकृतियां हैं जो इस मंदिर को अप्रतिम और बेजोड़ बनाती हैं।
महाराजा राव लूणकरन के आराध्य:
भक्तों माना जाता है कि भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी महाराजा राव लूणकरन के आराध्य थे इसीलिए उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को प्रतिष्ठित किया था।
प्रतिबंध:
भक्तों लक्ष्मीनाथ मंदिर में चमड़े की वस्तुओं, जूते-मोजे, कैमरा और मोबाइल के साथ प्रवेश की अनुमति नहीं है। यदि आप इस मंदिर में जाएँ तो मंदिर के अंदर किसी भी प्रकार से फोटो खींचने और विडियो बनाने का प्रयास कदापि न करें। क्योंकि यहाँ फोटोग्राफी और विडियोग्राफी पूर्णतः प्रतिबंधित है।
दर्शन का समय:
भक्तों लक्ष्मीनाथ मंदिर में भक्तों के लिए भगवान के दर्शन का समय सुबह 5.00 बजे से दोपहर 1.00 बजे तक और शाम 5.00 बजे से रात 11.00 बजे रहता है। यदि आप लक्ष्मीनाथ मंदिर जाना चाहते हैं तो 1-2 घंटे का समय इस मंदिर में अवश्य व्यतीत करें।
आरती में अविस्मरणीय अनुभव:
भक्तों यदि लक्ष्मीनाथ मंदिर बीकानेर के दर्शनार्थ यात्रा कर रहे हैं तो यात्रा से पहले मंदिर की दैनिक आरती का समय अवश्य जान लें क्योंकि यहाँ होने वाली भगवान लक्ष्मीनाथ जी की आरती भक्तों को अविस्मरणीय आध्यात्मिक आनंद प्रदान करती है।
त्योहार व उत्सव:
भक्तों लक्ष्मीनाथ मंदिर के सबसे लोकप्रिय त्यौहार निर्जला एकादशी, जन्माष्टमी, गीता जयंती, दिवाली और रामनवमी हैं। इन सभी त्योहारों में यहाँ भगवान का विशेष पूजन और अभिषेक होता है, भजन कीर्तन के साथ साथ कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। इस दौरान भारत के विभिन्न कोनों से आए श्रद्धालुओं जन सैलाब मंदिर में देखा जा सकता है।
सबसे अच्छा समय:
भक्तों लक्ष्मीनाथ मंदिर बीकानेर की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च का समय होता है, क्योंकि इस समय बीकानेर का मौसम खुशनुमा रहता है, इसीलिए सर्दियों के मौसम में बीकानेर की यात्रा करना काफी अच्छा माना जाता है। मार्च से शुरू होने वाली ग्रीष्मकाल के दौरान बीकानेर की यात्रा से बचें क्योंकि इस समय बीकानेर का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है जो आपकी यात्रा को हतोत्साहित कर सकता है।
नजदीकी दर्शनीय स्थल:
बंधुओं यदि आप राजस्थान के प्रमुख पर्यटक स्थल बीकानेर में लक्ष्मीनाथ मंदिर की यात्रा पर जा रहे हैं और पर्यटन के शौकीन हैं तो बीकानेर में लक्ष्मीनाथ मंदिर के अलावा जूनागढ़ का किला, लालगढ़ पैलेस, करणी माता मंदिर, गजनेर पैलेस, भांडासर जैन मंदिर, ऊंट अनुसंधान केंद्र, देवीकुंड सागर, गजनेर वन्यजीव अभयारण्य, कोडमदेश्वर मंदिर, कपिल मुनि मंदिर, सादुल सिंह संग्रहालय, रामपुरिया हवेली,शिवबाड़ी मंदिर, गंगा सिंह संग्रहालय, कोलायत झील, कोलायत मंदिर और गजनेर झील जैसे कई दर्शनीय पर्यटक स्थल हैं, जहां की सैर आपकी यात्रा को पूर्णता प्रादन कर सकती है।
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन !
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इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन। 🙏
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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