Bharosa Jispe Karta Hun Wahi Jhootha Nikalta Hai | GHAZAL | Riyaz Tariq

Описание к видео Bharosa Jispe Karta Hun Wahi Jhootha Nikalta Hai | GHAZAL | Riyaz Tariq

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मिरे हिस्से का हर फल क्यूँ सदा कड़वा निकलता है
भरोसा जिसपे करता हूँ वही झूठा निकलता है

مرے حصے کا ہر پھل کیوں سدا کڑوا نکلتا ہے
بھروسہ جس پہ کرتا ہوں وہی جھوٹا نکلتا ہے

मेरी क़िस्मत में लिक्खी ही नहीं शायद कभी खुशियाँ
कुआँ खोदूं जहाँ, पानी वहीं खारा निकलता है

میری قسمت میں لکھی ہی نہیں شاید کبھی خوشیاں
کنواں کھودوں جہاں پانی وہیں کھارا نکلتا ہے

यूँही बनकर नहीं उभरा हूँ मैं हीरा ज़माने में
के हर पत्थर का मेरे सर से एक रिश्ता निकलता है

یونہی بن کر نہیں ابراہوں میں ہیرا زمانے میں
کہ ہر پتھر کا میرے سر سے اک رشتہ نکلتا ہے

हर इक शब् चाँद तो तारों को लेकर साथ आता है
मगर सूरज तो बेचारा सदा तन्हा निकलता है

ہر اک شب چاند تو تاروں کو لے کر ساتھ آتا ہے
مگر سورج تو بیچارا صدا تنہا نکلتا ہے

सभी तारे फलक पर इतने ख़ुश-किस्मत नहीं होते
सिवा एक चाँद के नज़दीक जो तारा निकलता है

سبھی تارے فلک پر اتنے خوش قسمت نہیں ہوتے
سوا اک چاند کے نزدیک جو تارا نکلتا ہے

मैं इस उम्मीद पर इस बार तेरे पास आया हूँ
अता होगा जो तेरे हुस्न का सदक़ा निकलता है

میں اس امید پر اس بار تیرے پاس آیا ہوں ہوں
عطا ہوگا جو تیرے حسن کا صدقہ نکلتا ہے

कभी फुर्सत मिले तो देख लो तन्हाई में आकर
तुम्हारी याद में आँखों से जो दरिया निकलता है

کبھی فرصت ملے تو دیکھ لو تنہائی میں آ کر
تمہاری یاد میں آنکھوں سے جو دریا نکلتا ہے

कोई मुफ़लिस करे बच्चे की ख़्वाहिश किस तरह पूरी
खिलौना जो पसंद आता है वो महंगा निकलता है

کوئی مفلس کرے بچے کی خواہش کس طرح پوری
کھلونہ جو پسند آتا ہے وہ مہنگا نکلتا ہے

नहीं बुझती है शायद प्यास अब लोगों की पानी से
जिसे देखो हमारे ख़ून का प्यासा निकलता है

نہیں بجھتی ہے شاید پیاس اب لوگوں کی پانی سے
جسے دیکھو ہمارے خون کا پیاسا نکلتا ہے

"यक़ीं किस पर करें, अपना कहें किसको यहाँ "तारिक़
के अब हर शख़्स के चेहरे पे एक चेहरा निकलता है

یقیں کس پر کریں، اپنا کہیں کس کو یہاں طارق
کہ اب ہر شخص کے چہرے پہ اک چہرہ نکلتا ہے

रियाज़ तारिक़ | ریاض طارق


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