धज बंद झट ध्यायी माँ।।DHAJ BANDH JHAT DHYAI||CHIRJA||

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।।चिरजा।।
धज बंद झट धाई जमपुर जा लाई लाखन लाडलो।।टेर।।
कोलायत मुनि कपिल कियो है तीर्थ नाम तालाब।
महातम मान हुवत है मेलो भक्त आवे रख भाव।।1।।
सुत शक्ति चारो चंडी के रहया जब नहाय।
कूदत जब जल में कोलायत लाखण गयो डुबाय।।2।।
आयी खबर अचानक खोटी सुत बध की सुरराय।
शक्ति श्रवण सुनत कर करणी आयुधलिया उठाय।।3।।
बीस हथी जब बाघ बढ़ाया है मद पिवत महामाय।
धरणी धसक शेष से कम्पे कमठ की पीठ कचाय।।4।।
बाघ बहन्ता वेग सु गिर ठोकर उड़ जाय।
करे किलकार कालो गोरो डमरू हाथ बजाय।।5।।
सुर नर नाग पवन जल थल सब भारी भया भयभीत।
करणी कोप कियो किण कारण आयी प्रलय अचित।।6।।
शंकर आय सभी समझाया धीरज दो बधवाय।
जमपुर जावत है जगदम्बा सुतकारण सुरराय।।7।।
नारद जाय कयो जब जम ने अम्बा रही ह आय।
शक्ति सुत को साथ लेय सठ पडजया बेगो पाया।।8।।
कंठ कुठार तृण मुखमोहि घाल आयो धर्मराज।
अम्बासुत आगे ले लक्मण पड़ियो तुरंत ही पाय।।9।।
त्राहि-त्राहि शरणागत तोरी शक्ति पड़ियो सुरराय।
शक्ति सुत स्वर्ग से ले जासो मर्यादा मिट जाय।।10।।
जगदम्बा कयो जाय धर्मराजा मो सुत फेर न आय।
देशनोक बसे देपावत जमपुर कदे न जाय।।11।।
सुत ले साथ आय जब शक्ति सुर पुष्प बरसाव।
कर काबा करणी मढ़ माही अगणित आप रखाय।।12।।
सुत बुलाय सभी ने शक्ति मुख सु आखयो आप महमाय।
कोलायत न्हाज्यो मत काइ जम न सके ले जा।।13।।
विधि हरिहर मुनि नाग सुरन श्रुति कीर्ति मुख कहाय।
देवी स्वर्ग देशाणो दूजो पार शेष नही पाया।।14।।
चंडी 'अम्ब' चरण को चेरो तेरी शरण पड़ियो सुरराय।
अभयदान दिरायो अम्बा महर करो महमाय।।15।।

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