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Скачать или смотреть ललिता सहस्रनाम और श्री यंत्र की साधना कैसे करें और इसके क्या लाभ होते हैं

  • @Dibyasandesh
  • 2025-05-25
  • 124
ललिता सहस्रनाम और श्री यंत्र की साधना कैसे करें और इसके क्या लाभ होते हैं
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Описание к видео ललिता सहस्रनाम और श्री यंत्र की साधना कैसे करें और इसके क्या लाभ होते हैं

ललिता सहस्रनाम की साधना कैसे करें?
ललिता सहस्रनाम देवी ललिता त्रिपुरासुंदरी के 1000 पवित्र नामों का संग्रह है। यह श्रीविद्या साधना का प्रमुख अंग है और शक्ति उपासकों के लिए अत्यंत पूजनीय है।
✅ साधना की विधि:
1. शुद्धि और स्नान:
. प्रातःकाल स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
. मानसिक और शारीरिक रूप से शुद्ध रहें।
2. स्थान और आसन:
. शांत, पवित्र स्थान में उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
. कम्बल या कुस की आसनी पर बैठना श्रेष्ठ होता है।
3. मंत्र जप प्रारंभ:
. सबसे पहले गणेश जी, गुरु, और कुलदेवी का पूजन करें।
. फिर श्री यंत्र या देवी ललिता की मूर्ति या चित्र का ध्यान करें।
. “ॐ श्री मात्रे नमः” से नामावली आरंभ करें।
4. सहस्रनाम का पाठ:
. ललिता सहस्रनाम स्तोत्र को ध्यानपूर्वक और श्रद्धा से पढ़ें।
. संभव हो तो कमल गट्टे की माला से पाठ करें।
5. अंत में आरती और क्षमा प्रार्थना:
. देवी की आरती करें।
. किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा याचना करें।

🔺 श्री यंत्र की साधना कैसे करें?
श्री यंत्र को देवी लक्ष्मी और त्रिपुरासुंदरी का प्रतीक माना जाता है। यह ब्रह्मांड की ऊर्जा का स्वरूप है।
✅ श्री यंत्र साधना विधि:
1. श्री यंत्र की स्थापना:
. शुक्रवार या पूर्णिमा को शुभ माना जाता है।
. श्री यंत्र को लाल या पीले कपड़े पर रखें।
. इसे शुद्ध जल, दूध और गंगाजल से स्नान कराएं।
2. पूजन सामग्री:
. लाल फूल, अक्षत (चावल), दीपक, धूप, कुमकुम, चंदन, इत्र आदि।
3. मंत्र जप:
. “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै नमः” या
. “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” – इन मंत्रों का जाप करें।
4. नैवेद्य अर्पण:
. फल, मिठाई आदि देवी को अर्पित करें।
5. नित्य पूजन:
. नियमित रूप से दीपक जलाकर श्री यंत्र का पूजन करें।

✨ लाभ :
1. धन, ऐश्वर्य और समृद्धि:
. श्री यंत्र और ललिता सहस्रनाम के नियमित जप से घर में लक्ष्मी का वास होता है।
2. रोग-नाश और शांति:
. मानसिक शांति, रोग निवारण और नकारात्मक ऊर्जा का शमन होता है।
3. आध्यात्मिक उन्नति:
. साधक को उच्च चेतना, ध्यान की गहराई और शक्ति की अनुभूति होती है।
4. रक्षक कवच:
. यह एक शक्तिशाली सुरक्षा कवच का कार्य करता है, जो बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।

🛕 श्री यंत्र की संरचना और महत्व:
• आकृति: श्री यंत्र एक जटिल ज्यामितीय संरचना है, जिसमें नौ त्रिकोण होते हैं—चार ऊपर की ओर (शिव का प्रतीक) और पांच नीचे की ओर (शक्ति का प्रतीक)। ये त्रिकोण मिलकर 43 छोटे त्रिकोण बनाते हैं, जो संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करते हैं।
• बिंदु (Bindu): श्री यंत्र का केंद्र बिंदु 'बिंदु' कहलाता है, जो परम चेतना या अद्वैत ब्रह्म का प्रतीक है।
• कमल की पंखुड़ियाँ: इसमें दो कमल होते हैं—भीतर का आठ पंखुड़ियों वाला और बाहरी सोलह पंखुड़ियों वाला, जो विभिन्न देवताओं और शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
• भू-पट (Square): बाहरी चौकोर संरचना चार द्वारों के साथ होती है, जिसे 'भू-पट' कहा जाता है। यह भौतिक संसार का प्रतीक है।

🌟 श्री यंत्र के लाभ:
1. धन और समृद्धि: श्री यंत्र की पूजा से आर्थिक स्थिरता और समृद्धि प्राप्त होती है।
2. मानसिक शांति: नियमित ध्यान और पूजा से मानसिक तनाव कम होता है और शांति की अनुभूति होती है।
3. नकारात्मक ऊर्जा का नाश: यह यंत्र नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
4. आध्यात्मिक उन्नति: श्री यंत्र साधना से साधक को आध्यात्मिक उन्नति और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।

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