Bhagat Singh Today || भारत मां के लाल तुम्ही हो Poem by Deepankur Bhardwaj

Описание к видео Bhagat Singh Today || भारत मां के लाल तुम्ही हो Poem by Deepankur Bhardwaj

This poem is all about how Bhagat Singh might felt about today's so called Revolutionaries....

Jai Hind 🙏🏻🙏🏻

Instagram Link :   / bhardwajdeepankur  

Twitter Link :   / devildeep7  

Lyrics:
खुद का इतिहास त्याग पश्चिमी बना
आग लगी है ज़माने को
आज भगत सिंह ढूंढ रहा है
इंकलाब के उस अफसाने को।

भगत की रूह भी तड़फ रही कुर्बानी देकर
कैसा आज़ाद हिंद ये पाया है,
खुद की संस्कृति और संस्कारों का
जिसने आज तमाशा बनाया है।

पंजाब के उस वीर की कुर्बानी
को जब समस्त हिंद ने सराहा था,
पंजाब एक दिन खालिस्तान मांगेगा
ऐसा भगत सिंह ने कभी ना चाहा था।

पूछ रहा भगत सिंह आज है
खालिस्तान के लिए क्या मेरी शहादत आई थी,
हमने अपने शीश हिंद की शान पर वार दिए
हमारी भारत मां ने आवाज़ लगाई थी।

भारत के टुकड़े करने का
विचार मन में तुमको कैसे सूझ रहा,
देश के टुकड़े की चाह रखने वालों से
आज भगत सिंह पूछ रहा।

अरे क्यों भूल चुके हो जड़ों को अपनी
खुद बन बैठे देश का काल तुम्ही हो,
देशप्रेम जिसकी माटी में हैं
उस भारत मां के लाल तुम्ही हो।

रंग दे बसंती के तराने हमने
क्या इस आज़ादी के लिए गाए थे,
सेहरा सजाने की उम्र में भी हमने
सिर पर कफ़न सजाए थे।

अरे इसी आज़ाद हिंद के लिए चढ़े थे फांसी
ये बात कैसे तुम हो भूल गए,
क्या देश के टुकड़े देखने को थे
हम फांसी पर झूल गए।

पूछ रहा है भगत क्यों तुम्हे
इस महकती बगिया को श्मशान बनाना है,
अरे क्यों हिंद से पंजाब को तोड़कर
ये अनजाना खालिस्तान बनाना है

जहां अंबर ओढ़े केसरिया बाना
उस वीरों की माटी के भूपाल तुम्ही हो,
जिसकी मिट्टी के कण कण में शौर्य मिलेगा
उस भारत मां के लाल तुम्ही हो।

देश के दुश्मनों के खिलाफ सदा ही
सोचा हाथों में शम्शीर रहे,
पर तुम आज वही शमशीर उठाकर
भारत मां का सीना क्यों हो चीर रहे।

कैसा ग़लत मतलब आज़ादी का
तुमने युवा को आज सिखाया है,
भारत मां की गोद में खेलते पंजाब को
जब उसकी मां से अलग बताया है।

अंग्रेज़ों के कोड़े जो ना कर सके
वो करके तुमने आज दिखलाया है,
शरीर तो कबका शहीद हो गया
भगत की रूह को तुमने आज तड़फाया है।

खुली आंखों से आजादी के सपने देखने वाला
भगत सिंह जीवित कभी ना चैन से सोया है,
आज अपनों का अपनों पर आघात देख
भगत सिंह खून के आंसू रोया है।

अरे गुरु नानक की बाणी तुम हो
शिव के डमरू की ताल तुम्ही हो
जिससे विश्व में है पहचान तुम्हारी
उस भारत मां के लाल तुम्ही हो।

आज जो तुमने सिख हिंदुओ को
अलग अलग मज़हब में बांटा है,
क्या भूल गए हो मुझ संग फांसी चढ़ने वाला
राजगुरु भी हिन्दू वीर मराठा है।

सदा से हिंद के बीच चमकने वाला
पंजाब आकर्षण का एक बिंदू था,
और मुझ संग फांसी का फंदा चूमने वाला
सुखदेव थापर भी तो हिन्दू था।

इतिहास के उन पन्नों का तनिक
मंथन करके आता हूं,
भ्रमित हुई पीढी को आज
हिन्दू और सिख इतिहास बताता हूं।

गुरु गोबिंद के 5 प्यारे भी
हिन्दू घरों के ही तो सपूत थे,
और गुरू गोबिंद सिंह को शस्त्र विद्या देने वाले
गुरु बाज्जर सिंह भी हिन्दू राजपूत थे।

आपस में जो बंट बैठे हो
बंटवारे का बुन रहे जाल तुम्ही हो,
हिन्दू और सिख कहलाने वाले
भारत मां के लाल तुम्ही हो।

बंदा बहादुर नाम से जाने जाते
वीर की कुरबानी ने सबको झिंझोड़ा था,
लक्ष्मण देव के 4 साल के बच्चे का सीना चीर दिया
फिर भी उस हिंदू ने सिखों का साथ नहीं छोड़ा था।

आज दूसरे देशों में बैठे गद्दार गुमराह हैं करते
तुम गुमराह कैसे हो जाते हो,
एक ही भारत मां की संतान हो तुम
भूल बात ये कैसे जाते हो।

गुरु गोबिंद सिंह का कहा याद करो
जो हर हिंदू सिख के दिल में साजे,
सकल जगत में खालसा पंथ गाजे
जगे धर्म हिन्दू तुरक धुंध भाजे।

गुरु तेग बहादुर ने दिल्ली में शीश कटाया
क्या समाज से उनकी कभी सीख हटेगी,
गर्व से जिन्होने बोला था
हिंदु धर्म के काज आज मम देह मिटेगी।

इतिहास भूलकर खुद को ना गुमराह करो
एक साथ हिंद की माटी को करने वाले खुशहाल तुम्ही हो,
जिसके लिए वीरों ने शीश कटाए
उस भारत मां के लाल तुम्ही हो।

गुरु गोबिंद के साहिबजादों को याद करो
जिन्हे कभी झुका ना पाया था काल वो,
अंतिम शब्द उनके भी यही थे
'प्रीत छुड़ाओ ना हिंदू धर्म पाल सो'।

अब खुद के गुरुओं की बाते भूलकर
जो तुम खालिस्तान यहाँ बसाओगे,
आने वाली पीढ़ी को क्या
खाक ज्ञान दे पाओगे।
अरे मुझ जैसा फिर भगत सिंह यहां पैदा नहीं होगा
क्या मातृभूमि को फिर से जंजीरों में बंधवाओगे,
जो खुद का इतिहास ताक पर रखकर
हिंद के टुकड़े आज करवाओगे,
जो खुद की जड़ों को ही भूल बैठोगे
सूखे वृक्ष के पत्तों की भांति झाड़ जाओगे।
हमने जिस देश को अपने लहू से सींचा उसे बांटकर
शहीदों से नज़रें कैसे मिलाओगे।

अरे खुद की सनातन जड़ों से गद्दारी करके
खुद के क्यों बन बैठे काल तुम्ही हो,
जिसकी गोद में पंजाब से कईं प्रांत हैं सिमटे
उस भारत मां के लाल तुम्ही हो।
उस भारत मां के लाल तुम्ही हो।

Комментарии

Информация по комментариям в разработке