!! गायत्री महामंत्र के चमत्कारिक रहस्य !! Secrets of Gayatri Mantra Ep-001/24
गायत्री की अद्भुत शक्ति - गायत्री की चमत्कारी साधना
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• ! गायत्री महामंत्र के चमत्कारिक रहस्य...
गायत्री मन्त्र श्रृष्टि का अद्भुत अलौकिक एवं शक्तिशाली मन्त्र है | इस युग के विश्वामित्र वेदमूर्ति तपोनिष्ट पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने माँ गायत्री की कठोर साधना कर जन जन को इसके अद्भुत अप्रतिम लाभ से अवगत कराया |
र्कम्मेन्दिरयाणि पंचैव पंच बुद्धीन्दि्रयाणि च ।।
पंच पंचेन्द्रिरयार्थश्च भूतानाम् चैव पंचकम् ।।
मनोबुद्धिस्तथात्याच अव्यक्तं च यदुत्तमम् ।।
चतुर्विंशत्यथैतानि गायत्र्या अक्षराणितु॥
प्रणवं पुरुषं बिद्धि र्सव्वगं पंचविशकम्॥
अर्थात्- (१) पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ, (२) पाँच कर्मेन्द्रियां, (३) पाँच तत्त्व, (४) पाँच तन्मात्राएँ - शब्द, रूप, रस, गंध, स्पर्श ।। यह 20 हुए ।। इनके अतिरिक्त अन्तःकरण चतुष्टय ( मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार ) यह 24 हो गये ।। परमात्म पुरुष इन सबसे ऊपर 25 वाँ है ।।
तत्त्वज्ञानियों ने गायत्री मंत्र में अनेकानेक तथ्यों को ढूँढ़ निकाला है और यह समझने- समझाने का प्रयत्न किया है कि गायत्री मंत्र के २४ अक्षर में किन रहस्यों का समावेश है ।। उनके शोध निष्कर्षों में से कुछ इस प्रकार हैं-
(१) ब्रह्म- विज्ञान के २४ महाग्रंथ हैं ।। ४ वेद, ४ उपवेद, ४ ब्राह्मण, ६ दर्शन, ६ वेदाङ्ग ।। यह सब मिलाकर २४ होते हैं ।। तत्त्वज्ञों का ऐसा मत है कि गायत्री के २४ अक्षरों की व्याख्या के लिए उनका विस्तृत रहस्य समझाने के लिए इन शास्त्रों का निर्माण हुआ है ।।
(२) हृदय को जीव का और ब्रह्मरंध्र को ईश्वर का स्थान माना गया है ।। हृदय से ब्रह्मरंध्र की दूरी २४ अंगुल है ।। इस दूरी को पार करने के लिए २४ कदम उठाने पड़ते हैं ।। २४ सद्गुण अपनाने पड़ते हैं- इन्हीं को २४ योग कहा गया है ।।
(३) विराट् ब्रह्म का शरीर २४ अवयवों वाला है ।। मनुष्य शरीर के भी प्रधान अंग २४ ही हैं ।।
(४) सूक्ष्म शरीर की शक्ति प्रवाहिकी नाड़ियों में २४ प्रधान हैं ।। ग्रीवा में ७, पीठ में १२, कमर में ५ इन सबको मेरुदण्ड के सुषुम्ना परिवार का अंग माना गया है ।।
(५) गायत्री को अष्टसिद्धि और नवनिद्धियों की अधिष्ठात्री माना गया है ।। इन दोनों के समन्वय से शुभ गतियाँ प्राप्त होती हैं ।। यह २४ महान् लाभ गायत्री परिवार के अन्तर्गत आते हैं ।।
(६) सांख्य दर्शन के अनुसार यह सारा सृष्टिक्रम २४ तत्त्वों के सहारे चलता है ।। उनका प्रतिनिधित्व गायत्री के २४ अक्षर करते हैं ।।
ऐसे- ऐसे अनेक कारण और आधार है, जिनसे गायत्री में २४ ही अक्षर क्यों हैं, इसका समाधान भी मिलता है ।। विश्व की महान् विशिष्टताओं के मिलते ही परिकर ऐसे हैं, जिनका जोड़ २४ बैठ जाता है ।। गायत्री मंत्र में उन परिकरों का प्रतिनिधित्व रहने की बात, इस महामंत्र में २४ की ही संख्या होने से, समाधान करने वाली प्रतीत हो सकती है ।।
वाल्मीकि रामायण में हर एक हजार श्लोकों के बाद गायत्री के एक अक्षर का सम्पुट है ।। श्रीमद् भागवत के बारे में भी यही बात है
गायत्री के चौबीस बीज मंत्रों से युक्त २४ यंत्रों के नाम इस प्रकार हैं-
१) ॐ गायत्री यंत्रम्, २ ) ह्रीं ब्राह्मी यंत्रम्, ३) णं वैष्णवी यंत्रम्, ४) शं शाम्भवी यंत्रम्, ५) ओं विद्या यंत्रम्, ६) ळृं देवेश यंत्रम्, ७) स्त्रीं मातृ यंत्रम्,
८) ऋं ऋत् यंत्रम्, ९) उं निर्मला यंत्रम्, १०) यं निरंजना यंत्रम्, ११) गं ऋद्धि यंत्रम्, १२) क्षं सिद्धि यंत्रम्, १३) ज्ञं सावित्री यंत्रम्, १४) ऐं सरस्वती यंत्रम्,
१५) श्रीं श्री यन्त्रम्, १६) क्लीं कालिका यंत्रम्, १७) लं भैरव यंत्रम्, १८) रं ऊर्जा यंत्रम्, १९) खं विभूति यंत्रम्, २०) हुं दुर्गा यंत्रम्, २१) अं अन्नपूर्णेश्वरी यंत्रम्,
२२) हं योगिनी यंत्रम्, २३) वं वरुण यंत्रम् और २४) त्रीं त्रिधा यंत्रम् ।।
गायत्री के २४ अक्षरों से सम्बन्धित २४ रंग, २४ शक्तियाँ तथा २४ तत्त्व
श्री विद्यावर्ण तंत्र के अनुसार गायत्री महामंत्र में सन्निहित शक्तियों का वर्णन इस प्रकार है-
क्र०) अक्षर (रंग) शक्ति- देवियाँ कॉस्मिक प्रिन्सिपल स्थूल- सूक्ष्म तत्त्व
१) तत् -- पीला (Yellow) -- प्रह्लादिनी -- पृथ्वी
२) स -- गुलाब (Pink) -- प्रभा -- जल
३) वि -- लाल (Red) -- नित्या -- अग्नि
४) तुर् -- नीला (Blue) -- विश्वभद्रा -- वायु
५) व -- सिन्दुरी (Fiery) -- विलासिनी -- आकाश
६) रे -- श्वेत (White) -- प्रभावती -- गन्ध
७) णि -- श्वेत (White) -- जया -- स्वाद
८) यम् -- श्वेत (White) -- शान्ता -- रूप
९) भ -- काला (Black) -- कान्ता -- स्पर्श
१०) र्गो -- लाल (Red) -- दुर्गा -- शब्द
११) दे -- लाल (Red) -- कमलसरस्वती -- वाणी
(१२) व -- श्वेत (White) -- विश्वमाया -- हस्त
१३) स्य -- सुनहरापीला (Golden Yellow) -- विशालेशा -- जननेन्द्रिय
१४) धी -- श्वेत (White) -- ब्यापिनी -- गुदा
१५) म -- गुलाबी (Pink) -- विमला -- पाद
१६) हि - श्वेत शंख (Conch White) -- तमोपहारिणी -- कान
१७) धि -- मोतिया (Cream) -- सूक्ष्मा -- मुख
१८) यो -- लाल (Red) -- विश्वयोनि -- आँख
१९) यो -- लाल (Red) -- जयावहा -- जिह्वा
२०) नः -- स्वर्णिम (Color of rising sun) -- पद्मालया -- नाक
२१) प्र -- नीलकमल(Color of blue lotus) -- परा -- मन
२२) चो -- पीला (Yellow) -- शोभा -- अहं
२३) द -- श्वेत (White) -- भद्ररूपा -- मन, बुद्धि, चित्त, अन्तःकरण
२४) यात् -- श्वेत, लाल, काला (White, Red, Black) -- त्रिमूर्ति -- सत्, रज, तम् ।।
गायत्री यन्त्र जो कि विश्व ब्रह्माण्ड का प्रतीक है, उपरोक्त तत्त्वों से मिलकर बनता है ।।
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