गोंड जनजाति (Gond tribe)

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गोंड मध्य और दक्षिण-मध्य भारत में रहने वाले आदिवासी लोगों का एक जातीय-भाषाई समूह है जो मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, बिहार और ओडिशा राज्यों में रहते हैं। वे दुनिया के सबसे बड़े आदिवासी समूहों में से एक हैं, जिनकी आबादी लगभग दो मिलियन है। गोंड को गोंडी लोगों के रूप में भी जाना जाता है, और वे खुद को "कोइतोर" कहते हैं। वे गोंडी नामक एक मूल भाषा बोलते हैं, जो द्रविड़ परिवार से संबंधित है।
हम मध्य प्रदेश की जनजातियाँ विषय में मध्य प्रदेश की गोंड जनजाति के बारे मे जानेंगे
"गोंड जनजाति"

गोंड मध्य प्रदेश की एक प्रमुख जनजाति है। यह जनसंख्या की दृष्टि से भारत की सबसे बड़ी तथा मध्य प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी जनजाति है,यह जनजाति मध्य प्रदेश के सभी जिलों में फैली हुई है लेकिन नर्मदा के दोनों और विंध्य और सतपुड़ा के पहाड़ी क्षेत्रों में इसका अधिक घनत्व है राज्य के बैतूल, छिंदवाड़ा, होशंगाबाद बालाघाट, मंडला,शहडोल जिलों में गोंड जनजाति पाई जाती है।

इस जनजाति में स्त्रियों का कद पुरुषों की अपेक्षाकृत छोटा होता है। इन की त्वचा का रंग काला, केस काले तथा खड़े होने वाले नासिका भारी व बड़ी, गोलाकार सिर ,छोटे ओंठ, सुगठित शरीर तथा मुंह चौड़ा होता है। इनके चेहरे पर बाल कम होते हैं आते हैं पुरुष दाढ़ी मूछ नहीं रखते ।स्त्री और पुरुष दोनों शरीर सुगठित होता है यह अत्यधिक परिश्रमी होते हैं।

"गोंड जनजाति के संबंध में अन्य तथ्य"

1. मध्य प्रदेश गोंड जनजाति व्यवसाय के आधार पर कई उप जातियों में विभाजित है जैसे लोहे का काम करने वाला वर्ग अगरिया ,मंदिर में पूजा पाठ करने वाले परधान तथा पंडिताई या तांत्रिक क्रिया करने वाले ओझा कहे जाते हैं।

2. मध्य प्रदेश की गोंड जनजाति में भाई का लड़का और बहन की लड़की अथवा भाई की लड़की और बहन का लड़का में विवाह का प्रचलन है जिसे यह लोग दूर लौटावा कहते हैं।

3. गोंड जनजाति में वर द्वारा वधू मूल्य नहीं चुकाने की स्थिति में वह भावी ससुर के यहां सेवा करता है ,जिससे खुश होकर उसे कन्या दे दी जाती है । इस सेवा विवाह कहा जाता है तथा वह व्यक्ति लामानाईं कहलाता है।

4. परधान, अगरिया,ओझा ,नगरची, सोलहास गोंड जनजाति की उपजाति है।

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