EKATMA DHAM | A JOURNEY OF ONENESS_HINDI | ADI SHANKARACHARYA | MADHYA PRADESH

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एकात्म धाम ओमकारेश्वर के पवित्र क्षेत्र में आध्यात्मिक व सांस्कृतिक ज्ञान के केंद्र के रूप में स्थित है | आचार्य शंकर द्वारा प्रतिपादित एकात्मता के सार्वभौमिक संदेश को समस्त विश्व तक ले जाना इसकी संकल्पना का मूल है | प्रस्तुत फिल्म इसी भव्य स्थल के विविध पक्षों पर केंद्रित है | 

आचार्य शंकर के जीवन , दर्शन व योगदान की प्रासंगिकता को समाज के समक्ष सम्पूर्ण प्रमाणिकता और सौंदर्य के साथ प्रस्तुत करता संग्रहालय एकात्म धाम का मुख्य आकर्षण होगा । शिक्षा के माध्यम से वेदांत दर्शन का प्रसार करने हेतु एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तरीय संस्थान की स्थापना भी एकात्म धाम के अन्तर्गत की जा रही है । संस्थान में आने वाले शोधार्थीयों और विध्यार्थीयों के लिए नर्मदा के सुरम्य तट पर पारम्परिक स्थापत्य शैली में गुरुकुल का निर्माण किया जा रहा है । वेदों में निहित सर्वकालीक ज्ञान व चराचर जगत के अस्तित्व की एकसूत्रता का बोध करने के लिए आप सभी ओम्कारेश्वर स्थित एकात्म धाम में आमंत्रित हैं ।

आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास

आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास का गठन वर्ष 2017-18 में किया गया था, यह मध्यप्रदेश लोक न्यास अधिनियम 1951 के अनुच्छेद 4 के तहत पंजीकृत है । अद्वैत वेदांत दर्शन भारत के जनजीवन का सैद्धांतिक दर्शन रहा है, उसी आधारभूत दर्शन के माध्यम से समष्टि में निहित एकात्मता के बोध को जनसामान्य तक पहुँचाना आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास का उद्देश्य है । न्यास की समस्त गतिविधियां इसी उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए आयोजित की जाती हैं । न्यास के अध्यक्ष पद का कार्यभार माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा सम्भाला जा रहा है, अन्य सदस्यों में देश के अग्रणी संत तथा आध्यात्मिक चेतना हेतु प्रयासरत संस्थाओं के प्रमुख शामिल हैं । 

आदि शंकराचार्य और अद्वैत दर्शन

सनातन धर्म के विकास एवं समेकन में आचार्य शंकर की महती भुमिका रही है । प्रमुख ग्रंथों के भाष्यकार, भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मठों के संस्थापक तथा अनके स्तोत्रों के रचनाकार आचार्य शंकर एक महान दार्शनिक तथा शिक्षाविद थे, उन्हें सनातन धर्म को पुनः स्थापित एवं प्रतिष्ठित करने का श्रेय जाता है । उनकी शिक्षाओं और प्रयासों ने भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । उन्होंने न केवल भारतीय दार्शनिक परंपरा को जीवंत रखा वरन ऐसे सर्वतोन्मुखी दार्शनिक युग का सूत्रपात किया जिसके आलोक में भारतीय दर्शन को एक नई दिशा मिली | आचार्य का अद्वैतवाद कर्म और ज्ञान, व्यवहार एवं परमार्थ, तथा स्थूल एवं सूक्ष्म का समन्वयभूत सिद्धांत है | उनके दर्शन ने गैर-द्वैतवाद पर जोर देते हुए सिद्ध किया कि ब्रह्मांड की अंतिम वास्तविकता एक एकल, अपरिवर्तनीय चेतना है। इस विचार ने न केवल सनातन धर्म बल्कि अन्य पूर्वी और पश्चिमी दार्शनिक और आध्यात्मिक परंपराओं को भी प्रभावित किया।

Acharya Shankar Sanskritik Ekta Nyas
Department of Culture, Government of Madhya Pradesh
Tribal Museum, Shyamala Hills, Bhopal, Madhya Pradesh — 462 003
Tel: 0755-4928869, 2708451
[email protected]

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