According to some websites, there are photographic shreds of evidence to prove that the site and material used to construct Humayun’s tomb belong to an ancient Vishnu temple. The original name of the temple was “Vishnupada Temple”. “Pada” means “Charan” or “feet.”
Is Mughal Graveyard Constructed On Lord Vishnu Temple?। Shweta Jaya Travel Vlog।
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अमूमन ऐसा होता रहा है कि किसी शहंशाह या बादशाह ने अपनी बेगम के लिए या राजा–महाराजा ने अपनी रानी की याद में महल, मकबरे, मीनार या स्मृति चिन्ह बनवाए हैं... इसका सबसे बड़ा उदाहरण हमारे देश का ताजमहल कहा जा सकता है जिसके बारे में कहते हैं कि इसे मुगल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया था.
लेकिन आज हम आपको ले चलेंगे एक ऐसी मोहब्बत की निशानी पर जिसे एक बेगम ने अपने मरहूम शौहर की याद में बनवाया था, वो शौहर जो हिंदुस्तान का बादशाह था... मुगल शासक हुमायूं... जिसका मक़बरा हिंदुस्तान में सबसे पहला मुगलिया स्मारक माना जाता है और ताजमहल को भी इसी की कॉपी बताया जाता है। हम यह भी बताएंगे कि कैसे हुमायूँ की मौत हुई थी और दिखायेंगे कि कैसे इस स्मारक के साथ ही मुगल साम्राज्य के खात्मे की भी कहानी जुड़ी हुई है।
हुमायूँ का मकबरा मुगल वास्तुकला का एक नायाब नमूना है। इस मकबरे को हुमायूँ की याद में उनकी पत्नी हामिदा बानो बेगम ने सन् 1562 में बनवाना शुरू किया था जो लगभग सात साल में बनकर तैयार हुआ। पति की याद में पत्नी द्वारा बनवाया गया एक बेशकीमती धरोहर।
इस मकबरे को ताजमहल से भी पुराना माना जाता है तो साथ ही कई तरह के विवाद भी इस मकबरे से जुड़े हुए हैं। दरअसल इस मकबरे के अंदर पहले हिन्दू मंदिर होने के दावे किए जाते हैं जिसके पीछे हैं यहां मौजूद कुछ स्मृति चिन्ह। कुछ पुराने फोटोग्राफ और चिन्हों से ये दावा किया जाता है कि हुमायूं की कब्र की साइट और मटेरियल एक प्राचीन विष्णु मंदिर से संबंधित हैं।
इस tomb का डिज़ाइन मीरक मिर्ज़ा घीयथ नामक पारसी वास्तुकार ने बनाया था। ये भारतीय, फारसी और तुर्की स्थापत्य शैली का मिश्रण है, वहीं इसकी डायवर्सिटी की बात करें तो यहां कई प्रकार की इमारतें, राजसी द्वार, किले, मकबरे, मजार, महल, मस्जिद, सराय सब कुछ एक ही Premises में बने हुए हैं।
इसे 1993 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में घोषित किया गया जिससे इसे एक नई पहचान मिली। इसके बाद से यहां अच्छी खासी तादाद में टूरिस्ट भी आने लगे, जिसमें काफी विदेशी पर्यटक भी शामिल हैं।
ये मकबरा अपने बगीचों के लिए famous है जो चारों तरफ से दीवारों से घिरा है। वहीं इस चहारदीवारी में 150 मुगल शासकों और शाही परिवार के लोगों की कब्रें हैं, इसीलिए इसे 'मुगलों का शयनागार' भी कहा जाता है क्योंकि इसके कक्षों में मुगल परिवार के 150 से ज्यादा सदस्य दबे हुए हैं।
वहीं ये भी कहा जाता है कि ये मकबरा चारबाग यानी कुरान में बताई गईं स्वर्ग की चार नदियों का एक उदाहरण है जिसे जन्नत का बाग कहा जाता है।
विष्णुपद मंदिर होने का दावा
विष्णु जो कि सनातन धर्म में पूजे जाने वाले देव हैं और पद का अर्थ है पैर। ये नाम मंदिर के अंदर पत्थर में खुदे नक्काशीदार भगवान विष्णु के पैर के पाए जाने के बाद सामने आया। सनातन संस्कृति में हर विष्णु मंदिर में विष्णु के पद चिन्ह बनाये जाते हैं। ऐसे में इस दावे में शायद कुछ हकीकत भी नजर आता है कि हुमायूं का मकबरा पूर्व में विष्णु मंदिर हुआ करता था।
कब्र के अंदर लगे क्वार्ट्ज के स्तंभ भी इस तरफ़ इशारा करते हैं कि ये किसी मंदिर के अवषेशों के ऊपर बनाए गए हो सकते हैं। हुमायू के मकबरे की लाल बलुआ पत्थर की दीवारों के ठीक उलट सफेद क्वार्ट्ज स्तंभ ये साफ संकेत देता है कि वो पूरी तरह से अलग संरचना हैं। हालाकि ये दावे हैं और इनकी वास्तविकता क्या है कहना बेहद मुश्किल और रिसर्च का विषय है।
हुमायूं की मौत और 3 कब्रें
हुआ यूं कि हुमायूं उस दिन ऑब्जरवेटरी की छत पर था, वहां जब वो सीढ़ियों से नीचे उतर रहा था तो उसे पास की मस्जिद से अजान की आवाज सुनाई दी। जब भी वो अजान सुनता तो दौड़ पड़ता था और घुटने के बल सजदे में झुक जाता था। उसका पैर पोस्तीन में उलझ गया और वो सीढ़ियों से लुढ़कता हुआ सिर के बल जा गिरा और 3 दिन बाद उसकी मौत हो गई।
वहीं कुछ इतिहासकार लिखते हैं कि हुमायूं की मौत के बाद जब किले पर हेमू ने कब्जा कर लिया तो हुमायूं के विश्वासपात्र उसकी कब्र से उसकी बॉडी को सरहिंद ले कर चले गए थे और वहीं उसे फिर से दफना दिया था।
तीसरा दावा ये है कि बेगम हमीदा की तमन्ना थी कि उसके पति को एक आलीशान मकबरा मुहैया हो इसलिए उसने दिल्ली में एक खूबसूरत टॉम्ब का निर्माण करवाया और बाद में 1565 में हुमायूं को उसकी पुरानी कब्रगाह से निकाल कर इस नई जगह पर दफ़न किया गया जिसे हुमायूं का मकबरा कहते हैं।
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