मौसंबी की खेती || Mosambi Cultivation, Cost and Profits || Mausami Farming Information || Sweet Lime

Описание к видео मौसंबी की खेती || Mosambi Cultivation, Cost and Profits || Mausami Farming Information || Sweet Lime

आज-कल की फल मार्केट में जूस वाले फल की डिमांड अच्छी है लोग तरह तरह के जूस पीने के शौकीन है। मौसंबी का जूस पीने लोगों की संख्या अच्छी खासी है, कारण मौसंबी और फलों के तुलना में थोड़ा सस्ता होता है, इसका स्वाद खटमिट्ठा होता है। मौसंबी, जिसे मोसमी और अंग्रेजी में स्वीट लेमन कहते हैं, इसका जूस पूरे भारत में लगभग पूरे साल बिकता है, इसलिए इसकी खेती में भी फायदा है। इस वीडियो में आपको मौसंबी की खेती के बारे में विस्तार से बताएंगे, लेकिन अब तक आपने न्यूज पोटली के चैनल को लाइक और सब्सक्राइब नहीं किया है तो कर दीजिए ताकि खेती किसानी की नई-नई जानकारियां आप तक पहुंचती रहें।
मौसंबी, नींबू की प्रजाति का एक फल है। इसमें विटामिन सी फाइबर, जिंक कैल्शियम जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं इसी कारण से इसकी मार्केट में भी मांग अच्छी होती है। अच्छी मांग का मतलब है इसकी खेती में फायदा है, किसान अगर वैज्ञानिक तरीके से मौसमी की खेती करें तो वो अनाज वाली फसलों के कहीं ज्यादा फायदा उठा सकते हैं। इस वीडियो आप आगे जानेंगे मौसंबी की खेती करने का सही समय, उपयुक्त जलवायु, मिट्टी, वैरायटी से जुड़ी जानकारी।
मौसंबी के पौधे लगाने का सही समय जुलाई-अगस्त माना जाता है। सर्दी के मौसम यानि दिसंबर-जनवरी में भी किसान इसकी रोपाई करते हैं। किसान के मुताबिक बारिश के समय तीन चार-बार बारिश हो जाने के बाद जब जमीन की गरमाहट बाहर निकल जाए तब रोपाई करनी चाहिए।
5 गुणा 5 मीटर की जगह में रोपाई करने पर एक एकड़ में 190 तक पौधे लगते हैं। पौधा रोपण से पहले 1 गुणा 1 गुणा 1 मीटर गहराई का गढ्ढा खोद कर उसमें गोबर की खाद और गंधक यानि सल्फर को उपयोग करे। गंधक का उपयोग करने से पौधे पर फंगस का अटैक कम से कम होगा।
महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात में मौसंबी की खेती करने वाले किसानों के मुताबिक 3 साल में फल मिलना शुरू हो जाता है। शुरूआती समय में एक पेड़ से 20 से 25 किलों ही फल मिलते हैं। खेती के जानकारी और कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक 5 साल से ही फल लेना चाहिए क्योंकि 5 साल की उम्र वाला पेड़ व्यवसायिक रूप से तैयार हो चुका होता है। फल का आकार और वजन दोनों में एकरूपता देखने को मिलती है, जो बाजार के लिए एक दम सही फल माना जाता है। मौसम का सही रूख और बाग की सही देख रेख होने पर सीजन में एक पेड़ से 60 से 200 किलों फल मिल जाता है। फल की क्वालिटी पेड़ का कटाई छटाई पर फ्रूट केयरिंग पर डिपेंड करती है।
मौसंबी की खेती में लागत, पौध, समय, जमीन, किसान की तकनीक और जलवायु के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है। महाराष्ट्र में औरंगाबाद के प्रगतिशील किसान जाकिर के मुताबिक एक नर्सरी 20 से 25 रुपए की पौध मिलती है और रोपण के समय खाद पानी और मजदूरी को जोड़कर एक पौधे पर औसतन 30 से 35 रुपए का खर्चा आ जाता है। साल में दो बार जैविक खाद देने पर एक पेड़ पर 100 रुपए का औसतन खर्चा आता है। जाकिर आगे बताते हैं कि इसमें किसी भी प्रकार का रोग नहीं आता है फंगस दिखने पर अगर जैविक तरीके से उपचार कर किया जाए तो वो भी रोग खत्म हो जाता है। फल आने से पहले तक यानि 3 साल तक एक पेड़ में आने वाला खर्चा 350 से 450 के आसपास रहता है। वहीं व्यावसायिक रूप से फसल लेने पर एक साल में एक पेड़ पर औसतन 100 रुपए का खर्चा रहता है। किसान की जमीन और देख रेख के हिसाब से य खर्चा घट बढ़ सकता है।
हार्वेसटिंग किस्म पर भी निर्भर करती है और किसान पर भी क्यों कि राजस्थान के कुछ किसान एक बार ही फल लेते हैं वहीं महाराष्ट्र के कुछ किसान दो बार फल लेते हैं। लेकिन एक बार फसल लेना बेहतर होता है। हालांकि मौसंबी में फ्लोवरिंग दो बार आती है एक दिसंबर और जून–जुलाई है। दिसंबर की फ्लोवरिंग से फल जून के समय मिलता है और जून-जुलाई की फ्लावरिंग से आने वाले फल का जनवरी फरवरी के आसपास का होता है। मौसंबी में प्लोवरिंग आने के 20 से 30 दिन के बाद का समय स्ट्रेस पीरियड माना जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस समय पर पेड़ को पानी खाद की जरूरत नहीं होती है क्योंकि तब वो पेड़ अपनी स्टोर ताकत लगा रहा होता है। 7 से 8 महीने की फसल को फ्लोवरिंग के समय का तापमान 25 से 26 डिग्री सेल्सियम सही माना जाता है। इसलिए जून-जुलाई के समय की फसल अच्छा माना जाता है। सही देख रेख और खाद पानी देने पर फसल 6 महीने में भी तैयार हो जाती है।
मार्केट रेट और उत्पादन का गणित समझिए
पिछले कई वर्षों से मौसंबी की खेती कर रहे किसान जाकिर के मुताबित इस बार उत्पादन अच्छा रहा, ज्यादा सप्लाई के चलते रेट 15 रुपए किलो तक पहुंच गए थे। जो बाद में 30 रुपए किलो तक आसानी से बिके। एक पेड़ से 60-200 किलों फल मिल जाता है। अगर सब कुछ अच्छा रहा तो 30 रुपए तक तो मिल ही जाते है। अगर 180 पेड़ों में 60 किलो के हिसाब से 30 रुपए का रेट लिया जाए तो किसान को सीजन में 3,24,000 रूपए मिल जाते हैं।
मौसंबी की खेती की जानकारी आपको कैसी लगी कमेंट बाक्स में जरूर बताइएगा और खेती–बाड़ी से जुड़ी जानकारी के लिए आप न्यूज पोटली का सब्सक्राइब करे।
न्यूज पोटली के लिए आशीष यादव की रिपोर्ट
Join this channel to Support News Potli
   / @newspotli  

Комментарии

Информация по комментариям в разработке