#ShivAmruthkatha
शयन कक्ष में भगवान की तस्वीर होना चाहिए या नहीं # पंडित प्रदीप जी मिश्रा
पंडित प्रदीप जी मिश्रा जी की कथा
घर में हनुमान जी की तस्वीर किस दिशा में लगानी चाहिए,
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पंडित प्रदीप मिश्रा के भजन
शयन कक्ष (bedroom) में भगवान की तस्वीर / मूर्ति रखना चाहिए या नहीं — इस विषय पर हिन्दू धर्म, वास्तुशास्त्र और संस्कृति में अलग‑अलग राय मिलती है। पंडित प्रदीप जी मिश्रा की कोई विशेष टिप्पणी मुझे नहीं मिली है, लेकिन मैं सामान्य दृष्टिकोण, तर्क‑वितर्क और विशेष बातें बताऊँगा ताकि आप अपनी परिस्थिति के अनुसार निर्णय कर सकें। अगर चाहें, तो मैं पंडित जी की राय भी खोज सकता हूँ।
🙏 हिन्दू धर्मिक दृष्टिकोण
श्रद्धा और इष्ट‑भाव
बहुत से लोग मानते हैं कि जहाँ व्यक्ति की श्रद्धा है, वहाँ भगवान की तस्वीर रखना ठीक है। यदि मन में इष्ट भगवान की भक्ति का भाव हो और वन्दना हो, तो तस्वीर‑मूर्ति रखने से मानसिक शांति मिलती है।
सम्मान की भावना
तस्वीर या मूर्ति को साफ‑सुथरी जगह पर रखना चाहिए। उसे ऐसी जगह हो जहाँ पैरों की दिशा से मूर्ति को सीधा ना दिखे। नीची जगह या खुले बिस्तर के सामने रखना कुछ लोगों के लिए सम्मानहीन लग सकता है।
नैतिक और निजी गतिविधियाँ
शयनकक्ष निजी स्थान है जहाँ विश्राम, व्यक्तिगत गतिविधियाँ होती हैं। कुछ लोग मानते हैं कि अगर कमरे में ऐसा वातावरण हो जहाँ सम्मान घटे या गति‑श्रृंखला ना बनी रहे, तो तस्वीर रखना उपयुक्त नहीं है।
🏠 वास्तुशास्त्र का दृष्टिकोण (Vastu)
वास्तु में कुछ नॉर्म्स हैं जो अक्सर इस विषय पर बात करते हैं:
भगवान की मूर्ति या तस्वीर पूजा स्थली (mandir / altar) में होनी चाहिए — आमतौर पर घर के उत्तर‑पूर्व (东北) दिशा को शुभ माना जाता है।
अगर कमरे में तस्वीर रखनी ही हो, तो यह ध्यान रखना कि वह दीवार पर ऊँचाई पर हो, फर्श पर नहीं हो।
तस्वीर ऐसी हो जिसमें भगवान शांत मुद्रा में हों, क्रोध या हिंसक स्थिति में नहीं।
कमरे की दिशा: पूर्व या उत्तर दिशा बेहतर मानी जाती है। आप बिस्तर पर सोते समय अपने पाँव तस्वीर/मूर्ति की ओर न हों।
⚠️ संभावित समस्याएँ
अगर कमरे का उपयोग सिर्फ विश्राम या नींद के लिए हो और तस्वीर से कोई अशांति हो रही हो तो
निजी गतिविधियों के दौरान असहजता महसूस हो सकती हो
सम्मान या आराधना की भावना बनी न रहने की स्थिति हो सकती है
✅ सुझाव / संतुलित दृष्टिकोण
अगर आप रखना चाहें:
भगवान की तस्वीर/मूर्ति को एक विशेष कोने में रखें जिसे आप पूजा का स्थान जैसा मानें।
तस्वीर को ऊँचाई पर लगे दीवार पर रखें, बिस्तर की उपर नहीं।
नियमित सफाई करें, माला/दीप आदि से पूजा‑भाव बनाए रखें।
निजी समय (विश्राम/सोने आदि) में अगर सहज महसूस न हो, तो तस्वीर को कुछ समय के लिए कवर कर लें या हटाएँ यदि संभव हो।
अगर आप नहीं रखना चाहें:
पूजा‑स्थल को घर के अन्य हिस्से में बनाएँ जहाँ कम‑से‑कम सम्मान के भाव से पूजा हो सके।
तस्वीर को हटाना शर्म की बात नहीं, बल्कि सहजता से और श्रद्धा के साथ विचार करना चाहिए।
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