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Скачать или смотреть 24 tirthankar qualities | Jain Tirthankar| Jainism Wisdom|

  • Jainism Wisdom
  • 2024-11-05
  • 58
24 tirthankar qualities | Jain Tirthankar| Jainism Wisdom|
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Описание к видео 24 tirthankar qualities | Jain Tirthankar| Jainism Wisdom|

24 tirthankar qualities | Jain Tirthankar| Jainism Wisdom|

#विहरमान_बीस_तीर्थंकर और उनकी बीस विशेषतायें –

1️⃣ भरत ऐरावत क्षेत्र की तरह महाविदेह क्षेत्र में एक के बाद एक ऐसे चौबीस तीर्थंकरों की व्यवस्था नहीं है। महाविदेह क्षेत्र की पुण्यवानी अनंतानंत और अद्भुत है. वहां सदाकाल बीस तीर्थंकर विचरते रहते हैं, उनके नाम भी हमेशा एक सरीखे ही रहते हैं; इसलिए उन्हें जिनका कभी भी वियोग न हो, ऐसे विहरमान बीस तीर्थंकर भी कहते हैं।

2️⃣ महाविदेह क्षेत्र में बीस से कभी भी कम तीर्थंकर नहीं होते हैं। अतः उन्हें जयवंता जगदीश भी कहते हैं क्योकि वे सभी साक्षात् परमात्म स्वरुप में विद्यमान रहते हैं।

3️⃣ इस तरह महाविदेह क्षेत्र में तीर्थंकरों का कभी भी अभाव नहीं होता है।

4️⃣ महाविदेह क्षेत्र का समय सदाकाल एक सा ही रहता है और वहां सदैव चतुर्थ काल के प्रारम्भ काल के समान समय रहता है।

5️⃣ महाविदेह क्षेत्र के पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण इस तरह चार विभाग करने से पाँचों महाविदेहों में 5×4=20 विभाग हुए। एक विभाग में एक; ऐसे बीस तीर्थंकर सदा विचरते हैं.

6️⃣ ये बीस विहरमान तीर्थंकर सदाकाल से धर्म-दीप को प्रदीप्त कर रहे हैं और करते रहेंगे।

7️⃣ महाविदेह क्षेत्र के इन बीसों का जन्म एक साथ सत्रहवें तीर्थंकर श्री कुंथुनाथ जी के निर्वाण के बाद महाविदेह क्षेत्र में हुआ था।

8️⃣ बीसवें तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रत स्वामी के निर्वाण के पश्चात महाविदेह क्षेत्र के इन सभी तीर्थंकरों ने एक साथ दीक्षा ली।

9️⃣ बीसों विहरमान एक हज़ार वर्ष तक छद्मस्थ अवस्था में रहते हैं और इन्हें एक ही समय में केवलज्ञान, केवल दर्शन की प्राप्ति होती है।

1️⃣0️⃣ भविष्यकाल की चौबीसी के सातवें तीर्थंकर श्री उदयप्रभस्वामी के निर्वाण के पश्चात बीसों विहरमान एक ही समय में मोक्ष पधारेंगे।

1️⃣1️⃣ इसी समय महाविदेह क्षेत्र में दूसरे बीस विहरमान तीर्थंकर पद को प्राप्त होंगे।

1️⃣2️⃣ यह अटल नियम है कि बीस विहरमान तीर्थंकर एक साथ जन्म लेते हैं, एक साथ दीक्षित होते हैं, एक साथ केवलज्ञान को प्राप्त होते हैं.

1️⃣3️⃣ यह भी नियम है कि जब वर्तमान के बीस विहरमान तीर्थंकर दीक्षित होते हैं तब भावी बीस विहरमान तीर्थंकर जन्म लेते हैं।

1️⃣4️⃣ जब वर्तमान के बीस विहरमान तीर्थंकर केवल्य प्राप्त होते हैं तब भावी बीस विहरमान तीर्थंकर दीक्षित होते हैं।

1️⃣5️⃣ वर्तमान के जब बीस विहरमान तीर्थंकर निर्वाण प्राप्त करते हैं तब भावी बीस विहरमान तीर्थंकर केवलज्ञान को प्राप्त कर तीर्थंकर पद पर आसीन हो जाते हैं और उसी समय अन्य स्थानों में बीस विहरमान तीर्थंकरों का जन्म होता है।

1️⃣6️⃣ प्रत्येक विहरमान तीर्थंकर के 84-84 गणधर होते हैं।

1️⃣7️⃣ प्रत्येक विहरमान तीर्थंकर के साथ दस-दस लाख केवलज्ञानी परमात्मा रहते हैं

1️⃣8️⃣ प्रत्येक विहरमान तीर्थंकर के साथ एक-एक अरब मुनिराज और इतनी ही साध्वियाँ होती हैं।

1️⃣9️⃣ बीसों विहरमान तीर्थंकरों के संघ में कुल मिलाकर दो करोड़ केवलज्ञानी, दो हज़ार करोड़ मुनिराज और दो हज़ार करोड़ साध्वियाँ होती हैं।

2️⃣0️⃣ महाविदेह क्षेत्र में सदाकाल रहने वाले विहरमान बीस तीर्थंकरों के एक सरीखे नाम इस तरह हैं –

1. श्री सीमंधर स्वामी
2. श्री युगमंधर स्वामी
3. श्री बाहु स्वामी
4. श्री सुबाहु स्वामी
5. श्री सुजात स्वामी
6. श्री स्वयंप्रभ स्वामी
7. श्री ऋषभानन स्वामी
8. श्री अनन्तवीर्य स्वामी
9. श्री सूरप्रभ स्वामी
10. श्री विशाल स्वामी
11. श्री व्रजंधर स्वामी
12. श्री चन्द्रानन स्वामी
13. श्री चंद्रबाहु स्वामी
14. श्री भुजंगदेव स्वामी
15. श्री ईश्वर स्वामी
16. श्री नेमिप्रभ स्वामी
17. श्री वीरसेन स्वामी
18. श्री महाभद्र स्वामी
19. श्री देवयश स्वामी
20. श्री अजितवीर्य स्वामी
अनंत उपकारी भगवंत बीस विहरमान भगवंत को हमारा कोटिशः वंदन

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