बालक ओटसिंह जोरावत कैसे बने इतने महान तपस्वी शांतिनाथजी महाराज? विशाल जीवनकाल का संक्षिप्त परिचय।

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जालोर जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर एक छोटा सा गांव भागली। इसी छोटे से गांव में 19 जनवरी, 1940 या यूं कहे विक्रमी संवत 1996 माघ कृष्ण पक्ष पंचम और दिन सोमवार को रावतसिंहजी जोरावत और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सिणगार कंवर के घर एक बालक का जन्म हुआ। जिसका नाम दिया ओटसिंहजी। ये वहीं बालक है जो आगे चलकर नाथ सम्प्रदाय के एक बड़े संत तपस्वी बने, ये वहीं बालक है जिनके पूरे देश में लाखों-करोड़ों भक्त है, ये वहीं बालक है जब देवलोकगमन हुए तो इनते लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए जालोर आए कि पांव रखने तक की जगह नहीं थी, ये वहीं बालक है जो आगे चलकर मेरे, आपके, हम सबके नाथजी कहलाए। जी हां मैं बात कर रहा हूं उस महान तपस्वी संत की, जिनकी तपोभूमि सिरे मंदिर पर इन दिनों हजारों संत और लाखों श्रद्धालु उनके तीसरे भंडारे कार्यक्रम का हिस्सा बनने आ रहे हैं। जी हां, पीर श्री शांतिनाथजी महाराज की।


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