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Скачать или смотреть राजस्व न्यायालय। Revenue court ।

  • NyayMitra (न्यायमित्र)
  • 2025-08-26
  • 63
राजस्व न्यायालय। Revenue court ।
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Описание к видео राजस्व न्यायालय। Revenue court ।

👉राजस्व न्यायालय (Revenue Courts) – परिचय और विवरण

#परिभाषा:
राजस्व न्यायालय वे न्यायिक संस्थाएँ हैं जो भूमि, भू-राजस्व, अभिलेख, सीमांकन और भूमि से संबंधित विवादों के निवारण के लिए गठित की जाती हैं। इन न्यायालयों का मुख्य उद्देश्य कृषि भूमि और उससे संबंधित अधिकारों की सुरक्षा करना और राजस्व वसूली एवं अभिलेखों की शुद्धता बनाए रखना है।

📌स्थापना का आधार:

मध्यप्रदेश में राजस्व न्यायालयों की स्थापना मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 (M.P. Land Revenue Code, 1959) के अंतर्गत की गई है।

इस संहिता में भूमि से जुड़े अधिकार, स्वामित्व, बंटवारा, नामांतरण, भू-अधिग्रहण, सीमांकन और अन्य राजस्व संबंधित प्रक्रियाओं का प्रावधान है।


📍प्रमुख उद्देश्य:

1. भूमि अभिलेखों का संरक्षण और अद्यतन।


2. भूमि से जुड़े विवादों का न्यायिक समाधान।


3. राज्य सरकार के भू-राजस्व संग्रह को सुनिश्चित करना।


4. किसानों के अधिकारों की रक्षा करना।


5. भूमि सुधार और प्रशासनिक पारदर्शिता बनाए रखना।



📌राजस्व न्यायालयों की श्रेणियाँ (Hierarchy):

1. प्रथम राजस्व न्यायालय:

नायब तहसीलदार (Naib Tehsildar) – छोटे भूमि विवाद, नामांतरण, सीमांकन।



2. तहसील स्तर:

तहसीलदार (Tehsildar) – भूमि बंटवारा, कब्जा विवाद, अपीलीय शक्तियाँ।



3. उप-मंडल स्तर:

उप प्रभागीय अधिकारी/SDM (Sub Divisional Magistrate) – तहसीलदार आदेशों पर अपील, भूमि सीलिंग, अधिग्रहण के प्राथमिक मामले।



4. जिला स्तर:

कलेक्टर (Collector) / अतिरिक्त कलेक्टर – अपील, अधिग्रहण और विशेष शक्तियाँ।



5. संभाग स्तर:

आयुक्त (Commissioner) – कलेक्टर आदेशों पर अपील।



6. राज्य स्तर:

राजस्व मंडल, ग्वालियर (Board of Revenue) – प्रदेश का सर्वोच्च राजस्व न्यायालय, अंतिम अपील और विधिक निर्णय।




📍विशेषताएँ:

राजस्व न्यायालय प्रशासनिक व न्यायिक शक्तियों का मिश्रण रखते हैं।

आदेश और निर्णय सामान्य न्यायालयों के समकक्ष प्रभावी होते हैं।

ये न्यायालय प्रायः ग्रामीण और कृषि समाज से जुड़े विवादों का समाधान करते हैं।


📌महत्त्व:

कृषि आधारित राज्य होने के कारण मध्यप्रदेश में भूमि विवाद आम हैं।

किसानों और भूमि मालिकों के अधिकारों की रक्षा में इन न्यायालयों की प्रमुख भूमिका है।

भू-राजस्व से राज्य की आय का बड़ा हिस्सा आता है, इसलिए इन न्यायालयों का महत्व बढ़ जाता है।

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