रामायण कथा | लंका कांड (भाग -2)

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Watch the Video Song "काल भैरव अष्टक " :    • काल भैरव अष्टक। Kaal Bhairav Ashtakam...  

Watch the video song of ''Har Ghar Mandir Har Ghar Utsav"' here -    • हर घर मंदिर हर घर उत्सव। Sri Ram Janm...  

प्रभु श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण और उनके स्वागत के प्रति उल्लास एवं उत्साह व्यक्त करती हुई लिए तिलक की नवीन प्रस्तुति "हर घर मंदिर हर घर उत्सव"।

"Har Ghar Mandir Har Ghar Utsav" -A new presentation by Tilak expressing joy and enthusiasm for the grand temple construction at Lord Shri Ram's Janmbhoomi, Ayodhya.

Watch the long story of "Lanka Khand story" now!

रावण की सभा में जब श्री राम और लक्ष्मण के देवता होने की बात करते हैं तो मेघनाध को क्रोध आता है और वो शत्रुओं को मारने की बात करता है। इंद्रजीत रावण से आज्ञा माँगता है की वो उन पर आक्रमण कर सके और उन्हें रात्रि में ही हमला करके मार दे।

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लक्ष्मण चेतना में आते ही मेघनाद को ललकारते हैं। मेघनाद एक गुप्त स्थान से देवी निकुम्भला को प्रसन्न करने के लिये यज्ञ का आयोजन करता है ताकि देवी से दिव्य रथ प्राप्त कर सके और उसपर सवार होकर युद्ध कर सके। भरत ध्यान लगाकर राम को मानस सन्देश भेजते हैं कि उन्हें युद्ध में शामिल होने हेतु आने की आज्ञा दें। राम सन्देश को प्राप्त करते हैं किन्तु भरत को आने से मना करते हैं। तभी विभीषण आकर उन्हें बताते हैं कि मेघनाद देवी निकुम्भला का यज्ञ कर रहा है, यदि यह यज्ञ पूर्ण हो गया तो उसकी ज्वाला से एक दिव्य रथ प्रकट होगा जिस पर आरूढ़ होने के पश्चात उसे कोई परास्त नहीं कर सकता है विभीषण उन्हें सारी कथा सुनाते हैं। विभीषण मेघनाद के यज्ञ का भेद राम लक्ष्मण को देते हुए कहते हैं कि मेघनाद को मारने का यही उपाय है कि उसके यज्ञ को विध्वंस कर दिया जाये। राम लक्ष्मण को यज्ञ विध्वंस की आज्ञा देते हैं। गुप्त यज्ञ स्थल तक का मार्ग बताने के लिये विभीषण साथ जाते हैं। यज्ञ स्थल की सुरक्षा के लिये तैनात असुर सैनिकों पर वानर सेना टूट पड़ती है। सुरक्षा दीवार टूटती है, हनुमान और अंगद यज्ञ में विघ्न डालने का प्रयास करते हैं किन्तु मेघनाद अपने आसन से नहीं हिलता है। आखिरकार हनुमान पानी डालकर यज्ञ अग्नि बुझा देते हैं। मेघनाद विभीषण को देखकर समझ जाता है कि देवी निकुम्भला का यज्ञ उसके कारण ही विध्वंस हुआ है। वह विभीषण चाचा को सन्तानहन्ता कहकर लक्ष्मण से पहले उसे मारने का ऐलान करता है। मेघनाद विभीषण पर लक्ष्य साधकर यमास्त्र चलाता है लेकिन गन्धर्वराज कुबेर पहले ही इस अस्त्र के तोड़ की विधि लक्ष्मण को बता चुके थे सो लक्ष्मण इससे विभीषण की रक्षा करते हैं। इसके पश्चात मेघनाद लक्ष्मण पर ब्रह्मास्त्र चलाता है। ब्रह्मास्त्र के निकट आने पर लक्ष्मण सिर झुकाकर उसे प्रणाम करते हैं। ब्रह्मास्त्र वापस चला जाता है। इस माया को मेघनाद समझ नहीं पाता। वह अपने धनुष पर पाशुपत अस्त्र का संघान करता है किन्तु भगवान शिव का यह अस्त्र भी लक्ष्मण का प्रणाम स्वीकार कर वापस लौट जाता है। मेघनाद परेशान हो उठता है। वह अबकी बार नारायण अस्त्र चलाता है किन्तु लक्ष्मण तो शेषावतार हैं। नारायण अस्त्र उनकी प्रदक्षिणा करके लौट जाता है। मेघनाद को अब रण छोड़ने में ही अपनी भलाई दिखती है। वह अन्तर्धान हो जाता है। मेघनाद अपने पिता रावण के पास जाता है और बताता है विभीषण के कारण आज उसका यज्ञ अपूर्ण रह गया। वह रावण से कहता है कि जिस प्रकार विभीषण को मारने के लिये उसके द्वारा चलाये गये यमास्त्र को लक्ष्मण ने तेजहीन किया, उससे ऐसा आभास होता है कि वह कोई मानव नहीं, अवतार है। रावण मेघनाद के बदले सुर से क्रोधित होता है और उसे कायर कहता है। मेघनाद भी नाराज होता है और कहता है कि राम मनुष्य नहीं हैं, नारायण के अवतार हैं। वह पिता से सीता को लौटाकर राम की शरण में जाने को कहता है। मेघनाद बताता है कि उसके द्वारा चलाये गये ब्रह्मास्त्र, पाशुपतास्त्र और नारायणास्त्र विफल रहने के कारण वह समझ चुका है कि राम व लक्ष्मण अवतारी पुरुष हैं। रावण मेघनाद की बातों से क्रोधित होता है और उसे युद्ध से हट जाने को कहता है। इस पर मेघनाद कहता है कि पिता से विमुख पुत्र का तो भगवान भी आदर नहीं करते हैं। वह युद्धभूमि में जाकर वीर की भाँति भगवान राम के हाथों मरना चाहेगा। महल के झरोखों से मेघनाद की माता मन्दोदरी उसे युद्ध में न जाने को कहती है किन्तु मेघनाद इसे पुत्रधर्म के विरुद्ध कहता है। मेघनाद को अहसास है कि अब उसका वध निश्चित है इसलिये माँ से अपनी समस्त भूलों के लिये क्षमा माँगकर विदा लेता है। सुलोचना अपने पति को नैनों से बिना नीर बहाये एक वीरपत्नी की भाँति विदा करती है। मेघनाद अट्टहास करता हुआ पुनः लक्ष्मण के समक्ष पहुँचकर युद्ध आरम्भ करता है। लक्ष्मण अपने बाण को श्रीराम की आन देकर मेघनाद पर चलाते हैं। यह बाण मेघनाद का शीश काटकर गिरा देता है। गुप्तचर शूक मेघनाद वध की सूचना रावण को देता है।

रामायण एक भारतीय टेलीविजन श्रृंखला है जो इसी नाम के प्राचीन भारतीय संस्कृत महाकाव्य पर आधारित है। यह श्रृंखला मूल रूप से 1987 और 1988 के बीच दूरदर्शन पर प्रसारित हुई थी।
इस श्रृंखला के निर्माण, लेखन और निर्देशन का श्रेय श्री रामानंद सागर को जाता है।

Ramayan is an Indian television series based on ancient Indian Sanskrit epic of the same name. The show was originally aired between 1987 and 1988 on DD National. It was created, written, and directed by Ramanand Sagar. The show is primarily based on Valmiki's 'Ramayan' and Tulsidas' 'Ramcharitmanas'.

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