🔵 भूमिका: क्या भारत सच में लोकतंत्र है या सिर्फ वोटतंत्र?
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहलाता है, लेकिन असल सवाल यह है—
क्या यह सच में “लोकतंत्र” है या फिर “वोटतंत्र”, “नोटतंत्र”, “नेतातंत्र”, “कॉर्पोरेटतंत्र” और “पार्टीतंत्र” में बदल चुका है?
क्या जनता की आवाज़ संसद तक पहुँचती भी है या सिर्फ चुनावी भाषणों में इस्तेमाल होती है?
इस वीडियो में हम एक ऐसे मुद्दे पर बात कर रहे हैं जिसे वर्षों से दबाया गया, छुपाया गया और कभी संसद में रखकर चर्चा तक नहीं की गई।
मुद्दा है — 2000 में बने वेंकटचलैया आयोग (Commission) का, जिसे देश के इतिहास का सबसे बड़ा, सबसे प्रतिष्ठित और सबसे शक्तिशाली जुडिशियल रिफॉर्म कमीशन कहा जाता है।
🔵 वेंकटचलैया कमीशन — भारत का सबसे बड़ा Judicial Commission
साल 2000 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 11 सदस्यों की एक ऐतिहासिक समिति बनाई, जिसमें शामिल थे—
4 सुप्रीम कोर्ट के जज
जस्टिस वेंकटचलैया (अध्यक्ष)
जस्टिस पुनिया
जस्टिस वेंकटचलैया
जस्टिस जीवन रेड्डी
दो अटॉर्नी जनरल — के. पराशरण और सोली सोराबजी
दो सांसद — पी.ए. संगमा और सुमित्रा महाजन
अमेरिका के राजदूत आबिद हुसैन
स्टेट्समैन के संपादक सी. आर. इरानी
इतनी विशाल, प्रतिष्ठित और अद्वितीय टीम दुनिया में किसी भी देश ने आज तक नहीं बनाई।
इस आयोग ने 2 साल तक देशभर में घूमकर सार्वजनिक सुनवाई की, लाखों लोगों की राय एकत्रित की और सरकार को 250 बड़े सुझाव दिए।
लेकिन दुख की बात यह है—
➡️ आज तक इस रिपोर्ट को संसद में टेबल तक नहीं किया गया।
➡️ लोकसभा में चर्चा नहीं हुई।
➡️ राज्यसभा में चर्चा नहीं हुई।
इतना महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट धूल खाता रह गया।
🔵 भारत की 50% समस्याओं की जड़ — अनियंत्रित जनसंख्या विस्फोट
वेंकटचलैया कमीशन की एक प्रमुख सिफारिश थी:
संविधान में Article 47A जोड़कर Population Control को अनिवार्य किया जाए।
लेकिन आज तक इस पर चर्चा नहीं हुई।
और नतीजा हमारे सामने है—भारत की 50% समस्याओं की जड़ है Population Explosion:
जल–जंगल–जमीन की कमी
रोटी–कपड़ा–मकान संकट
बेरोजगारी
प्रदूषण
गरीबी
कुपोषण
अपराध
भ्रष्टाचार
ट्रैफिक जाम
हॉस्पिटल में भीड़
आंकड़े चौंकाने वाले हैं:
भारत की जमीन: दुनिया की 2%
पानी: दुनिया का 4%
आबादी: दुनिया का 20%
हर दिन 90,000 बच्चे पैदा हो रहे हैं।
हर साल 3.25 करोड़।
एक लोकसभा कार्यकाल में 16 करोड़ से ज्यादा।
दुनिया के किसी भी देश में इतना विस्फोटक जनसंख्या वृद्धि नहीं है।
🔵 अपराध और आतंकवाद का जनसंख्या से सीधा संबंध
आज तक कोई एक भी आतंकवादी ऐसा नहीं मिला जिसके माता-पिता ने “हम दो हमारे दो” का पालन किया हो।
जहाँ 8–10–12 बच्चे हों,
ना पालन-पोषण ठीक होता है,
ना शिक्षा होती है,
ना निगरानी।
परिणाम है:
अपराध
लूट
ड्रग्स
पत्थरबाज़ी
गैंग बनना
ऑपरेशन मॉबिलाइजेशन
चेन स्नैचिंग
बेरोज़गारी
गरीबी इतनी बढ़ गई है कि लोग 1–2 लाख रुपये के लिए हत्या कर रहे हैं, क्योंकि बाहर भोजन नहीं मिलता, जेल में मिल जाता है।
🔵क्यों नेताओं और पार्टियों को Population Control कानून नहीं चाहिए?
क्योंकि:
1. वोट बैंक बिगड़ जाएगा
राजनीति जनसंख्या नियंत्रण से नहीं, जनसंख्या बढ़ने से फायदा उठाती है।
2. जो काम वोट दिलाता है, वो फटाफट होता है
सड़क = वोट + 20% कमीशन
अस्पताल = वोट + 20% कमीशन
हाईवे = वोट + 20% कमीशन
3. कॉर्पोरेट जैसा चाहते हैं, वैसा कानून बन जाता है
क्योंकि फंडिंग वहीं से आती है।
लेकिन जनता के भविष्य, देश की सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा पर — चर्चा तक नहीं।
🔵 भारत में वास्तव में लोकतंत्र है या सिर्फ वोटतंत्र?
कभी संसद में बहस नहीं:
◼ वेंकटचलैया कमीशन
◼ Article 47A
◼ “हम दो हमारे दो”
◼ Population Control Law
लेकिन रातों-रात होती है:
✔ नोटा
✔ रिजर्वेशन
✔ चुनाव सुधार
✔ नेताओं को सुरक्षा
✔ कॉर्पोरेट टैक्स रिफॉर्म
तो क्या भारत में
लोकतंत्र जनता के लिए है?
या उन लोगों के लिए जो वोट, नोट और सत्ता को नियंत्रित करते हैं?
🔵 समाधान — भारत को बचाने का एकमात्र रास्ता
Ashwini Upadhyay सहित कई समाजसेवी वर्षों से मांग कर रहे हैं:
“हम दो हमारे दो” को कानून बनाया जाए।
और जो इसका पालन न करे —
➡️ उसकी नागरिकता समाप्त की जाए।
➡️ सिविल सेवाओं में रोक।
➡️ सरकारी लाभ बंद।
➡️ मताधिकार न दिया जाए।
क्योंकि नागरिकता कानून 1955 इतनी खामियों से भरा है कि करोड़ों फर्जी नागरिक देश में शामिल हो गए,
लेकिन एक की भी नागरिकता नहीं गई।
अगर यह कानून लागू नहीं होता, तो—
✔ सावरकर का सपना कभी नहीं पूरा होगा,
✔ गोलवलकर का सपना नहीं पूरा होगा,
✔ अंबेडकर का सपना नहीं पूरा होगा,
✔ और भारत रामराज्य को छू भी नहीं पाएगा।
🔵 निष्कर्ष: जनसंख्या नियंत्रण के बिना विनाश निश्चित है
हर दिन बढ़ती भीड़,
बढ़ती गरीबी,
बढ़ता अपराध,
बढ़ता प्रदूषण,
बढ़ती बीमारियाँ…
सब सिर्फ एक चीज़ का परिणाम हैं — Population Explosion।
और जब तक Article 47A लागू नहीं होगा,
जब तक “हम दो हमारे दो” अनिवार्य नहीं बनेगा,
भारत आने वाले समय में सिर्फ भीड़ का देश बन जाएगा,
विकसित राष्ट्र नहीं।
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